कोचिंग की फिर भी हो गए फेल, अब करनी पड़ेगी फीस वापस
बेंगलूरु में स्थित जिला उपभोक्ता निवारण फोरम ने इस संस्थान को निर्देश दिया है कि वह उस पिता से ली गई फीस वापस करें, जिसकी बेटी कक्षा 9 की परीक्षा में फेल हो गई थी.
दिल्ली:
बेंगलुरु के एक जिला उपभोक्ता निवारण फोरम ने अजीबोगरीब फैसला देते हुए एक कोचिंग सेंटर को आदेश दिया है कि उसके सेंटर में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट के फैल हो जाने की स्थिति में वो अपने स्टूडेंट का फीस उसे वापस करे. बेंगलूरु में स्थित जिला उपभोक्ता निवारण फोरम ने इस संस्थान को निर्देश दिया है कि वह उस पिता से ली गई फीस वापस करें, जिसकी बेटी कक्षा 9 की परीक्षा में फेल हो गई थी. फोरम ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 'सेवा की कमी' के लिए कोचिंग संस्थान को उत्तरदायी ठहराया है.
बता दें कि उस लड़की के पिता एक त्रिलोक चंद गुप्ता की तरफ से दायर शिकायत में यह कहा गया था कि संस्थान द्वारा किए गए आश्वासनों और वादों पर भरोसा करते हुए उन्होंने 69,408 रूपये का भुगतान करके अपनी बेटी को दाखिला इस संस्थान में करवाया था,जो 9 वीं कक्षा में पढ़ रही थी. संस्थान ने वादा किया था कि करिक्यूलम के एक भाग के रूप में आईसीएसई पाठ्यक्रम विषयों के अलावा भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित और जीव विज्ञान जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. लेकिन उनकी सेवांए उतनी अच्छी नहीं निकली,जितनी अच्छी सेवाएं देने का वादा किया गया था.
क्या है मामला
लड़की के पिता एक त्रिलोक चंद गुप्ता की तरफ से दायर शिकायत में आरोप लगाया गया था कि 'कोई अतिरिक्त कक्षाएं नहीं दी गई, यहां तक कि नियमित कक्षाएं भी ठीक से संचालित नहीं की गई. जिसके परिणामस्वरूप उसकी बेटी के स्कूल में आयोजित यूनिट टेस्ट में खराब अंक आए और वह सभी विषयों में फेल हो गई. वहीं 'साप्ताहिक परीक्षा आयोजित करने से पहले ही सभी उत्तर उपलब्ध करा दिए गए थे ताकि छात्र अधिक अंक हासिल कर सकें.'
संस्थान की दलीलें
इसके उलट संस्थान ने सभी तरह के आरोपों से इंकार किया है. आयोग के समक्ष संस्थान ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि वह अपने आश्वासन के अनुसार अच्छी सेवाएं प्रदान कर रहा था. आरोपों के जवाब में संस्थान ने कहा कि कक्षाएं शुरू होने के बाद, शिकायतकर्ता की बेटी ने संस्थान के रिकॉर्ड के अनुसार पांच महीने से अधिक समय तक कक्षाओं में भाग लिया है. उनकी बेटी अपनी व्यक्तिगत समस्याओं के कारण पाठ्यक्रम से हट गई क्योंकि वह इसके साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही थी. इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने अपनी ओर से कमी साबित करने के लिए कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं किया है.
अध्यक्ष एस एल पाटिल की अगुवाई वाली पीठ ने संस्थान के प्रबंध निदेशक और शाखा प्रमुख को छह सप्ताह के भीतर शिकायतकर्ता को 5000 रुपये की मुकदमेबाजी लागत के साथ 26,250 रुपये वापस करने का आदेश दिया है.
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