logo-image

टॉयलेट में खोला कैफे, दूर-दूर से लोग आते हैं खाने

दूर-दूर से लोग आकर टॉयलेट में बैठकर लोग आराम से बक्स ब्रेड खाते और कॉफी पीते हैं.

Updated on: 24 Aug 2021, 04:13 PM

highlights

  • लोगों के पसंदीदा कैफे में एक है यह
  • 2017 में हुई थी इसकी शुरुआत
  • अपने आप में अनोखा है ये कैफे

नई दिल्ली :

अगर कोई आपको टॉयलेट में बैठकर खाने को कहे तो कैसा लगेगा. मुंह बन गया ना, लेकिन दुनिया में एक ऐसा भी कैफे है जो टॉयलेट में खोला गया है. इसी टॉयलेट में बैठकर लोग आराम से बक्स ब्रेड खाते और कॉफी पीते हैं. कमाल की बात ये भी है कि यहां पर दूर-दूर से लोग आते हैं. कई लोगों के घूमने और खाने की मनपसंद जगहों में से एक है टॉयलेट में बना रेस्टोरेंट. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या खास इस रेस्टोरेंट में, तो चलिए आपको बताते हैं इसकी खासियत. यह रेस्टोरेंट ब्रिटेन के ब्रिस्टल शहर में मौजूद है. इसका नाम है क्लॉकरूम कैफे (clockroom cafe).दरअसल, ब्रिस्टल के वुडलैंड रोड पर एक बिल्डिंग बनी है, जिसका निर्माण वर्ष 1904 में हुआ था. इसके एक हिस्से में पब्ल्कि टॉयलेट और रेस्टरूम था. कुछ वर्ष पहले इस पुरानी बिल्डिंग की नीलामी हुई. अल्फ्रेड फिट्जराल्ड नाम के एक व्यक्ति को यह बिल्डिंग पसंद आ गई. उसने नीलामी में दो करोड़ रुपये में यह इमारत खरीद ली. इसके बाद वर्ष 2017 में इमारत के जिस हिस्से में टॉयलेट था, उसमें कैफे खोल दिया गया. 

इसे भी पढ़ेंः प्यार में ऐसा भी, गर्लफ्रेंड के कपड़े पहनकर गया उसकी जगह परीक्षा देने

इस कैफे में लोग यहां के वास्तुशिल्प से आकर्षित होकर आते हैं. यहां 100 साल से भी ज्यादा पुरानी टाइल्स वाली दीवारें, मोनोक्रोम फ्लोरिंग और विस्टोरियन हाईटैंक्स के साथ लकड़ी की छत है. इसका पूरा वास्तुशिल्प 100 साल से ज्यादा पुराना है, जिस कारण लोग यहां आने के लिए आकर्षित होते हैं. कमाल की बात ये भी है कि इसके मालिक एल्फ्रेड की योजना यहां कैफे खोलने की नहीं थी. वह बताते हैं कि उन्हें यह जगह इतनी पसंद आई कि यहां कैफे खोलने का निर्णय ले लिया. 

बता दें कि दुनिया में तमाम ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिन्हें अब व्यवसायिक रूप में प्रयोग किया जा रहा है. दुनिया में कई पुरानी इमारतों में होटल, रेस्टोरेंट या म्यूजियम बनाए जा चुके हैं. भारत में भी तमाम ऐसी बिल्डिंग हैं, जो कभी राज-महाराजाओं के किले या महल थे. अब उनमें होटल खुले हैं. ऐसे स्थान लोगों को सहज ही आकर्षित करते हैं. ऐसे स्थानों पर लोग सिर्फ खाने-पीने नहीं, ऐतिहासिक सौंदर्य का आनंद लेने भी जाते हैं.