पैदा होते ही हो जाते हैं यहां जिंदगी भर के लिए अंधे, श्रापित है गांव या कुछ और ही मिस्ट्री
Blind Village Of Mexico: आप जान कर दंग रह जाएंगे कि मैक्सिको में एक ऐसा गांव है जहां पैदा होने के कुछ समय बाद ही बच्चे जीवन भर के लिए अंधे हो जाते हैं. हैरानी वाली बात तो ये कि इस गांव में रहने वाला हर व्यक्ति अंधा है.
highlights
- गांववालों के लिए श्राप है वर्षों पुराना पेड़
- बच्चे जन्म के बाद खो देते हैं आंखो की रोशनी
- सरकार ने की मदद की कोशिश पर रही नाकामियाब
नई दिल्ली:
Blind Village Of Mexico: बिना आंखों के दुनिया का हर रंग बेरंग है, हालांकि कुछ हिम्मती लोग होते हैं जो अपनी इस अक्षमता को अपनी ताकत बना लेते हैं और जीवन की हर कठिनाई के आगे डटकर खड़े होते हैं. आंखों का होना वरदान से कम नहीं माना जाना चाहिए. आंखे बंद होना मतलब घनघोर अंधेरा छा जाना और डर का साया हावी हो जाना. इस डर को महसूस करना भी एक पल के लिए रूह कंपा सकता है. वहीं आप जान कर दंग रह जाएंगे कि मैक्सिको में एक ऐसा गांव है जहां पैदा होने के कुछ समय बाद ही बच्चे जीवन भर के लिए अंधे हो जाते हैं. हैरानी वाली बात तो ये कि इस गांव में रहने वाला हर व्यक्ति अंधा है. हम यहां मैक्सिको के बसा टिल्टेपक गांव की बात कर रहे हैं.
श्रापित है गांव
इस गांव में जेपोटेक जनजाति के लोगों का बसेरा है. इस गांव में रहने वाले इंसान तो इंसान जानवर भी अंधेपन का शिकार हैं. इस गांव को लोग अंधों का गांव के नाम से ही जानते हैं.
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गांववालों का मानना है कि गांव श्रापित है, यही वजह है कि पैदा होने के कुछ समय बाद बच्चे जिंदगी भर के लिए अंधे हो जाते हैं, हालांकि यह गांववालों का अंधविश्वास है. कहा जाता है कि इस गांव में एक श्रापित पेड़ है जिसकी नजर भी पहली बार पेड़ पर जाती है वह अंधा हो जाता है. वहीं गांव में सालों से मौजूद इस पेड़ को कोई अनदेखा भी नहीं कर सकता.
क्या कहता है साइंस
जहां गांव वाले पेड़ को श्रापित मानते हैं वहीं इस गांव से जुड़ा ये मामला जानकारों के सामने आया तो बात कुछ और ही निकली. जानकारों ने रिसर्च के बाद बताया कि इस गांव में एक जहरीली मक्खी पाई जाती है, जिनकी यहां बहुतायत है. इस मक्खी के काटने से ही शरीर में पहुंचा जहर लोगों को अंधा बना देता है.
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जब सरकार के सामने ये मामला आया तो सरकार ने गांववालों की मदद करने की तमाम कोशिश की. यहां तक कि जेपोटेक जनजाति को कहीं और बसाया गया लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि ये जनजाती दूसरी जलवायु में सरवाइव ना कर सकी. मजबूरन लोगों को अपने गांव वापिस लौटना पड़ा.
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