Mount Taranaki: इस पहाड़ को मिले इंसानों के बराबर अधिकार, क्यों उठाना पड़ा ऐसा कदम?

Mount Taranaki New Zealand: न्यूजीलैंड का मशहूर माउंट टारानाकी अब सिर्फ एक पहाड़ नहीं, बल्कि कानूनी रूप से एक इंसान के समान अधिकार रखने वाला जीवंत अस्तित्व बन चुका है.

Mount Taranaki New Zealand: न्यूजीलैंड का मशहूर माउंट टारानाकी अब सिर्फ एक पहाड़ नहीं, बल्कि कानूनी रूप से एक इंसान के समान अधिकार रखने वाला जीवंत अस्तित्व बन चुका है.

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Ravi Prashant
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माउंट तारानाकी न्यूज़ीलैंड Photograph: (wiki)

Mount Taranaki New Zealand: न्यूजीलैंड का मशहूर माउंट टारानाकी अब सिर्फ एक पहाड़ नहीं, बल्कि कानूनी रूप से एक इंसान के समान अधिकार रखने वाला जीवंत अस्तित्व बन चुका है. इसे “टारानाकी मौंगा” (Taranaki Maunga) के नाम से भी जाना जाएगा, जो इसका पारंपरिक माओरी नाम है. इस पहाड़ को अब कानूनी तौर पर वही सारे अधिकार और जिम्मेदारियां मिलेंगी, जो एक इंसान को होती हैं.

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माओरी समुदाय के लिए पवित्र है यह पहाड़

माउंट टारानाकी सिर्फ एक प्राकृतिक धरोहर नहीं, बल्कि माओरी जनजातियों के लिए एक पूर्वज (ancestor) के समान पूजनीय स्थान है. माओरी समुदाय इसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मानता है. इसी वजह से न्यूजीलैंड सरकार और माओरी जनजातियों के बीच हुए एक समझौते के तहत इसे एक कानूनी व्यक्ति के रूप में मान्यता दी गई है.

अब कौन करेगा पहाड़ का संरक्षण?

इस कानून के तहत “ते काहुई तुपुआ” (Te Kahui Tupua) नाम की एक नई कानूनी संस्था बनाई गई है, जो इस पहाड़ की “आवाज़ और चेहरा” बनेगी. इसमें चार माओरी जनजातियों के सदस्य और चार सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि होंगे, जो मिलकर इस पहाड़ के अधिकारों की रक्षा करेंगे.

माओरी समुदाय के साथ हुए अन्याय का बदला

यह कानूनी मान्यता केवल पहाड़ के संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह माओरी समुदाय के साथ हुए अन्याय को स्वीकार करने और सुधारने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है.

दरअसल, 18वीं और 19वीं सदी में जब ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने न्यूजीलैंड पर कब्जा किया, तब इस पहाड़ को माओरी जनजातियों से छीन लिया गया था. ब्रिटिश खोजी कैप्टन जेम्स कुक ने इस पहाड़ को “माउंट एग्मोंट” नाम दिया और इसे अपने कब्जे में ले लिया.

इसके बाद 1840 में ट्रीटी ऑफ वेटांगी (Treaty of Waitangi) समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें ब्रिटिश सरकार ने वादा किया कि माओरी अपनी जमीन और संसाधनों पर अधिकार बनाए रखेंगे. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस संधि का उल्लंघन किया और 1865 में माउंट टारानाकी समेत अन्य जमीनें जब्त कर लीं.

इसके बाद करीब एक सदी तक माओरी समुदाय इस पवित्र पर्वत के प्रबंधन से दूर रहा. इस दौरान सरकार ने इसे शिकार, पर्यटन और खेल गतिविधियों के लिए खोल दिया, लेकिन माओरी संस्कृति और परंपराओं को प्रतिबंधित कर दिया गया.

माओरी अधिकारों की लड़ाई और न्याय की जीत

1970 और 80 के दशक में माओरी जनजातियों ने अपने हक के लिए जबरदस्त आंदोलन किया, जिसके बाद न्यूजीलैंड में उनकी भाषा, संस्कृति और अधिकारों को धीरे-धीरे कानूनी पहचान मिलने लगी.

अब, इस नए कानून के तहत माउंट टारानाकी को कानूनी व्यक्ति का दर्जा मिलना, इस संघर्ष की एक बड़ी जीत मानी जा रही है.

न्यूजीलैंड सरकार के मंत्री पॉल गोल्डस्मिथ ने संसद में इस कानून को पेश करते हुए कहा, “यह पर्वत हमारे लिए हमेशा से सम्मानित पूर्वज रहा है, शारीरिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से हमारी धरोहर का एक अहम हिस्सा है.”

क्या बदलेगा इस कानून से?

इस कानून के तहत माउंट टारानाकी को एक जीवंत इकाई के रूप में मान्यता दी गई है. इसे इंसानों की तरह कानूनी अधिकार और जिम्मेदारियां मिलेंगी. पहाड़ की देखरेख के लिए माओरी समुदाय और सरकार मिलकर काम करेंगे.  पर्यटन, शिकार और अन्य गतिविधियों को पहाड़ के स्वास्थ्य और संरक्षण को ध्यान में रखते हुए नियंत्रित किया जाएगा.

 पहाड़ की पवित्रता और पर्यावरण को बनाए रखने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएंगे. हालांकि, इस बदलाव के बावजूद यह पहाड़ सार्वजनिक रूप से पर्यटन और ट्रेकिंग के लिए खुला रहेगा, लेकिन अब इसके संरक्षण और सम्मान का विशेष ध्यान रखा जाएगा.

पहले भी मिली है ऐसी मान्यता

यह पहली बार नहीं है जब न्यूजीलैंड में किसी प्राकृतिक स्थल को कानूनी व्यक्ति का दर्जा मिला है. इससे पहले वांगानुई नदी (Whanganui River) और ते उरेवेवा जंगल (Te Urewera Forest) को भी इंसान की तरह कानूनी पहचान दी गई थी. 

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