धीरे-धीरे समुद्र में डूब रहा है ये देश, 15 साल में नक्शे से हो जाएगा गायब

क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ऐसा देश भी है जो अब कुछ ही सालों तक खत्म होने वाला है यानी यह देश दुनिया के नक्शे से गायब होने वाला है. हां आपने सही पढ़ा है, इसका कारण है जलवायु परिवर्तन.

क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ऐसा देश भी है जो अब कुछ ही सालों तक खत्म होने वाला है यानी यह देश दुनिया के नक्शे से गायब होने वाला है. हां आपने सही पढ़ा है, इसका कारण है जलवायु परिवर्तन.

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Ravi Prashant
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Kiribati submerged in the ocean

क्या खत्म हो जाएगा किरिबाती? Photograph: (X)

ग्लोबल वार्मिंग आज पूरी दुनिया के लिए गंभीर खतरा बन गई है. कुछ देश ऐसे हैं जो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. प्रशांत महासागर के बीच स्थित खूबसूरत द्वीपीय देश किरिबाती भी उन्हीं में से एक है. वैज्ञानिकों और जलवायु विशेषज्ञों की रिपोर्ट्स के अनुसार, आने वाले 15 से 25 वर्षों में यह देश पूरी तरह समुद्र में समा सकता है. हां, आपने सही पढ़ा. कुछ सालों में ये देश नक्शे से गायब हो जाएगा. 

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दो मीटर से कम है समुद्र तल से ऊंचाई

किरिबाती की सबसे बड़ी समस्या है इसकी बेहद कम ऊंचाई. समुद्र तल से इस देश की औसत ऊंचाई महज दो मीटर से भी कम है, जिससे यह समुद्र स्तर में मामूली वृद्धि से भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है. वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी और ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे किरिबाती जैसे देश सीधे खतरे की जद में आ गए हैं.

यहां हैं 33 द्वीप

इस देश में कुल 33 द्वीप हैं, जो छोटे-छोटे कोरल द्वीपों से बने हुए हैं. इन द्वीपों पर धीरे-धीरे भूमि कटाव, बाढ़ और खारे पानी के प्रवेश की समस्या बढ़ती जा रही है. स्थानीय लोग भी बता रहे हैं कि पहले जहां जमीन होती थी, अब वहां समुद्र है. खेती की जमीन और पीने का पानी दूषित हो चुका है, जिससे लोगों का जीवन और कठिन होता जा रहा है.

जलवायु परिवर्तन से परेशान हैं लोग

किरिबाती की राजधानी तरावा है, जो इन द्वीपों में सबसे अधिक आबादी वाला एरिया है. यहां की सरकार और जनता, दोनों जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं. कई बार किरिबाती सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपील की है कि विकसित देश जलवायु संकट को गंभीरता से लें, लेकिन किरिबाती की कोई नहीं सुनता है.

ऐसे डूब जाएंगे देश

गौरतलब है कि किरिबाती सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि आने वाले समय में उन तमाम तटीय और द्वीपीय क्षेत्रों का प्रतीक बन सकता है, जो जलवायु परिवर्तन की वजह से अस्तित्व संकट में हैं. अगर ग्लोबल वार्मिंग की रफ्तार नहीं थमी, तो दुनिया को ऐसे और कई डूबते देशों का सामना करना पड़ेगा. ये खतरा भारत के तटीय इलाकों में भी देखने को मिल सकता है. 

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