हर साल सांप के काटने से मरते हैं लाखों लोग, क्या कहती है WHO की रिपोर्ट!

हमारे देश में लोग एक अदृश्य युद्ध लड़ रहे हैं, युद्ध दिखाई तो नहीं देता लेकिन इस युद्ध के कारण कितने ही लोगों की जान चली जाती है. आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सी युद्ध है, जो अदृश्य है.

हमारे देश में लोग एक अदृश्य युद्ध लड़ रहे हैं, युद्ध दिखाई तो नहीं देता लेकिन इस युद्ध के कारण कितने ही लोगों की जान चली जाती है. आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सी युद्ध है, जो अदृश्य है.

author-image
Ravi Prashant
New Update
snakes bites who report

स्नेक बाइट डेथ रिपोर्ट Photograph: (Freepik)

हमारे देश में लोग एक अदृश्य युद्ध लड़ रहे हैं, युद्ध दिखाई तो नहीं देता लेकिन इस युद्ध के कारण कितने ही लोगों की जान चली जाती है. आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सी युद्ध है, जो अदृश्य है.  हम बात कर रहे हैं सांप के काटने की, जिससे हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है.

Advertisment

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग 5 मिलियन लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं, जिनमें से 2.7 मिलियन को जहर से गंभीर नुकसान होता है. यही नहीं, 81,000 से 1.38 लाख लोगों की मौत हो जाती है, जबकि 4 लाख से अधिक लोग स्थायी विकलांगता या अंग-भंग जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करते हैं.

भारत में सर्पदंश की स्थिति चिंताजनक

भारत में सांप के काटने से होने वाली मौतों का आंकड़ा बेहद डरावना है. एक नेशनल स्टडी के अनुसार, हर साल 45,900 लोगों की जान सर्पदंश के कारण चली जाती है. देश में 90% मामलों के पीछे चार प्रमुख जहरीले सांपों का हाथ होता है, जिन्हें ‘बिग फोर’ कहा जाता है, कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर. ये सांप ज्यादातर खेतों, गांवों और जंगलों के आसपास पाए जाते हैं, जहां लोग खुले में काम करने या सोने की वजह से इनके शिकार हो जाते हैं.

इलाज की कमी और आर्थिक बोझ

सर्पदंश के इलाज के लिए सबसे प्रभावी उपाय एंटीवेनम (सांप के जहर का उपचार) होता है, जिसे WHO ने अपनी जरूरी दवाइयों की सूची में भी शामिल किया है. हालांकि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत और कई अन्य देशों में अभी भी यह दवा सभी को उपलब्ध नहीं हो पाती. कई ग्रामीण क्षेत्रों में एंटीवेनम आसानी से नहीं मिलता, और जहां उपलब्ध होता है, वहां इसकी कीमत इतनी अधिक होती है कि लोग इसे खरीदने में असमर्थ होते हैं.

वास्तव में, कई गरीब परिवारों को एंटीवेनम के लिए अपनी जमीन या कीमती संपत्ति बेचनी पड़ती है या कर्ज लेना पड़ता है. इसके अलावा, गुणवत्ता नियंत्रण और उचित परीक्षण की कमी के कारण भी बाजार में प्रभावी एंटीवेनम की उपलब्धता सीमित है.

समाधान क्या है?

WHO ने 2017 में सर्पदंश को नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की लिस्ट में शामिल किया था, ताकि इस पर अधिक ध्यान दिया जा सके. भारत में इस समस्या से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
  • ग्रामीण इलाकों में जागरूकता फैलाना – सर्पदंश से बचने के तरीकों, सही प्राथमिक उपचार और इलाज की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जानी चाहिए
  • सस्ते और प्रभावी एंटीवेनम की उपलब्धता – सरकार को इस दवा को सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने और सस्ते दर पर उपलब्ध कराने पर ध्यान देना चाहिए.
  • स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार – खासकर ग्रामीण इलाकों में ऐसे अस्पताल और केंद्र बनाए जाएं, जहां सर्पदंश का तुरंत इलाज हो सके
  • एंटीवेनम का गुणवत्ता नियंत्रण – प्रभावी और उच्च गुणवत्ता वाले एंटीवेनम का उत्पादन सुनिश्चित किया जाए

ये भी पढ़ें- भूतनी के डर से 36 साल से साड़ी पहन रहा है शख्स, हर तरफ हो रही चर्चा

snake snake bite Offbeat Latest News Offbeat Hindi News Offbeat News In Hindi
      
Advertisment