नींद एक रहस्यमयी अवस्था होती है, जहां हमारा शरीर निष्क्रिय लगता है, लेकिन हमारा ब्रेन कई एक्टिविटी करता रहता है. कई धार्मिक मान्यताओं और आध्यात्मिक सिद्धांतों में कहा जाता है कि जब हम सोते हैं, तो आत्मा शरीर से अलग हो जाती है और एक अलग आयाम में प्रवेश करती है. लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है? ऐसे में आइए जानते हैं वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस सवाल का जवाब.
अगर हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण के नजरिए से देखें तो हिंदू धर्म, योग और वेदांत में यह माना जाता है कि आत्मा एक सूक्ष्म शरीर (Astral Body) से जुड़ी होती है, जो नींद के दौरान शरीर से बाहर जाती है. इसे “सूक्ष्म यात्रा” (Astral Projection) कहा जाता है, जिसमें आत्मा सपनों की दुनिया में भ्रमण करती है और कई बार दिव्य अनुभव करती है.
क्या सच में आत्माएं बाहर निकल जाती हैं?
कई लोग यह दावा करते हैं कि उन्होंने नींद में अपने शरीर को बाहर से देखा है, जिसे आउट ऑफ बॉडी एक्सपीरियंस कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आत्मा कुछ समय के लिए शरीर से अलग होकर दूसरी ऊर्जाओं या लोकों में घूम सकती है.
मृत्यु के करीब अनुभव कई बार लोग कोमा में जाने या मृत्यु के करीब पहुंचने के बाद बताते हैं कि उन्होंने अपने शरीर को ऊपर से देखा और एक प्रकाश की ओर जाते हुए महसूस किया. कुछ लोग इसे आत्मा का शरीर से अस्थायी रूप से अलग होना मानते हैं.
नींद के दौरान फिर होता क्या है?
वहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के नजरिए से कुछ अलग ही जानकारी सामने आती है. साइंस के मुताबिक, जब हम सोते हैं तो हमारी बॉडी भले ही मूवमेंट नहीं करता हो लेकिन ब्रेन हमारा एक्टिव होते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि नींद के दौरान मस्तिष्क रैपिड आई मूवमेंट के अवस्था में चला जाता है, जहां बहुत ही लाइवली और रियलिस्टिक जैसे सपने आते हैं. दिमाग खुद ही कुछ अनुभवों को इस तरह बनाता है कि व्यक्ति को लगता है कि वह शरीर से बाहर चला गया है.
तो क्या वैज्ञानिकों को प्रमाण नहीं मिला?
न्यूरोलॉजिस्ट्स के अनुसार, OBE मस्तिष्क के टेम्पोरल लोब की असामान्य गतिविधि के कारण होता है. यह भ्रमित करने वाले अनुभव होते हैं, लेकिन आत्मा के शरीर छोड़ने का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. यह रहस्य अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है. आध्यात्मिकता इसे आत्मा की यात्रा मानती है, जबकि विज्ञान इसे मस्तिष्क की एक प्रक्रिया कहता है. यह अनुभव किसे होता है और क्यों होता है, यह व्यक्तिगत विश्वास और अनुभवों पर निर्भर करता है.
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