क्या आपने कभी सोचा है कि मरने के बाद आत्माएं कहां जाती हैं? अब तक हम यही सुनते आए हैं कि मरने के बाद आत्माएं दूसरे शरीर में निवास करती हैं या उनका पुनर्जन्म होता है और उन्हें उनके कर्मों के अनुसार योनी मिलता है, तो सवाल यह है कि क्या सच में ऐसा होता है?
मरने के बाद आत्मा का पीछा करना एक प्राचीन धारणा है, जो कई धर्मों और लोककथाओं में देखने को मिलती है. हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और अन्य धार्मिक ग्रंथों में आत्मा की अवधारणा को महत्वपूर्ण माना गया है. लेकिन क्या यह वास्तव में संभव है?
क्या हैं धार्मिक मान्यताएं?
हिंदू धर्म के अनुसार, आत्मा अमर होती है और शरीर छोड़ने के बाद या तो पुनर्जन्म लेती है या फिर मोक्ष प्राप्त करती है. लेकिन कई मान्यताओं के अनुसार, कुछ आत्माएं किसी कारणवश संसार में ही भटकती रहती हैं. अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु असमय, हिंसा या अधूरी इच्छाओं के कारण होती है, तो उसकी आत्मा को ‘अतृप्त आत्मा’ कहा जाता है. ऐसी आत्माएं कभी-कभी अपने परिजनों या किसी खास व्यक्ति के आसपास मौजूद रहती हैं और संकेत देती हैं.
बौद्ध धर्म में भी पुनर्जन्म की अवधारणा है, लेकिन इसमें यह माना जाता है कि कर्मों के अनुसार आत्मा का अगला जन्म तय होता है. ईसाई धर्म में आत्मा के स्वर्ग या नर्क में जाने की बात कही जाती है, जबकि इस्लाम धर्म में भी आत्मा के बाद के जीवन की एक अलग धारणा है.
क्या कहता है साइंस?
विज्ञान आत्मा के अस्तित्व को प्रमाणित नहीं करता. वैज्ञानिकों का मानना है कि मृत्यु के बाद शरीर के सभी जैविक कार्य बंद हो जाते हैं और कोई भी ऊर्जा या चेतना नहीं बचती. हालांकि, कई बार लोग भूत-प्रेत की घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं, जिसे मनोवैज्ञानिक प्रभाव, अवचेतन मस्तिष्क की धारणाएं या फिर वातावरण से जुड़ी ध्वनियों का परिणाम माना जाता है.
क्या आत्माएं सच में पीछा करती है?
अध्यात्म में विश्वास रखने वाले लोग कहते हैं कि आत्माएं कभी-कभी अपने प्रियजनों से संपर्क करने की कोशिश करती हैं, खासकर जब उनकी कोई अधूरी इच्छा होती है. लेकिन विज्ञान इसे केवल मन का भ्रम मानता है.
ये भी पढ़ें- क्या मरने के बाद आत्माओं का पुनर्जन्म होता है, क्या कहता है साइंस?