Can we meet God: ये सवाल हर किसी के दिल में कभी न कभी जरूर आता है, क्या हम भगवान से मिल सकते हैं? अगर हां, तो कैसे? जब जिंदगी में दुख होता है, परेशानियां बढ़ती हैं या मन बेचैन रहता है, तब दिल चाहता है कि कोई ऊपरवाला सामने आए, उसे सब कुछ बताया जाए और वो झट से सब ठीक कर दे. लेकिन ऐसा नहीं होता है. ऐसे में क्या आपने सोचा है कि क्या सच में भगवान से मिला जा सकता है? हम आपको इस खबर में बताएंगे कि ईश्वर को पाना या मिलना है तो फिर क्या करना होगा?
तो क्या सच में भगवान से मिला जा सकता है?
हां, लेकिन शायद वह तरीका वैसा नहीं है जैसा हम फिल्मों या कहानियों में देखते हैं. भगवान को हम अपनी आंखों से नहीं देख सकते, लेकिन उन्हें “अनुभव” किया जा सकता है. ठीक वैसे जैसे हवा दिखती नहीं, पर महसूस होती है. भगवान दिल की भाषा समझते हैं. जब आप ईमानदारी से, बिना किसी स्वार्थ के उनकी ओर बढ़ते हैं, तो वो ज़रूर जवाब देते हैं. कभी अनुभव के रूप में, कभी किसी अच्छे इंसान के रूप में, और कभी भीतर उठती शांति के रूप में.
जब मन शांत होता है तो ईश्वर मिलते हैं?
वहीं, ध्यान एक ऐसा जरिया है जिसमें इंसान अपने भीतर झांकता है. जब मन शांत होता है, तो आत्मा की आवाज़ सुनाई देती है. और कहा जाता है, “जहां आत्मा है, वहां परमात्मा है.” इसके अलावा जब आप दूसरों की सेवा करते हैं, चाहे वो इंसान हो, जानवर हो या प्रकृति तो भगवान उसी रूप में आपके सामने होते हैं. सच्चे संत और गुरु जीवन का वो आइना होते हैं जो आपको भगवान की ओर ले जाते हैं. उनके सानिध्य में रहकर मन का अंधकार मिटता है.
धर्मग्रंथ खोलते हैं रास्ते?
गीता, रामायण, उपनिषद, गुरुबाणी इन ग्रंथों में भगवान खुद बोलते हैं. जब आप इन्हें दिल और मन लगाकर पढ़ते हैं, तो कई बार ऐसा लगता है कि वो सीधे आपसे बात कर रहे हैं. भगवान मिलते हैं, लेकिन मंदिरों में मूर्तियों से नहीं, बल्कि भावनाओं से, कर्मों से और भीतर की शांति से. जब आप “स्वयं” को जान लेते हैं, तब आपको समझ आता है कि भगवान कहीं बाहर नहीं वो तो हमेशा से आपके अंदर ही थे.
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