मणिपुर में बीरेन सिंह CM हैं मगर हिमंत बिस्व शर्मा बीजेपी की जीत के हैं असली हीरो
मणिपुर में बीजेपी की सरकार बनने के पीछे उत्तर-पूर्व में पार्टी के रणनीतिकार हिमंत बिस्वा शर्मा को जाता है।
नई दिल्ली:
चुनाव के बाद बहुमत न मिलने के बावजूद भी मणिपुर में बीजेपी की सरकार बन गई है। बहुमत से महज तीन सीट दूर कांग्रेस 28 सीट जीतकर भी सरकार नहीं बना पाई। मणिपुर में बीजेपी की सरकार बनने के पीछे उत्तर-पूर्व में पार्टी के रणनीतिकार हिमंत बिस्वा शर्मा को जाता है।
उत्तर-पूर्व में कमल खिलाने का श्रेय हिमंत बिस्वा शर्मा को जाता है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हिमंत बिस्वा मणिपुर मे बीजेपी की सरकार बनाने को लेकर पूरी कोशिश की और उत्तर-पूर्व के दूसरे राज्य में बीजेपी को पांव जमाने में मदद की। गोगोई के करीबी और उनकी सरकार में नंबर दो पर रहे हिमंत का बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिये नुकसानदायक रहा है।
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बीजेपी के लिये सबसे बड़ा क्षण वो रहा जब असम में उसकी सरकार बनी। इसमें सबसे बड़ी भूमिका हिमंत बिस्वा शर्मा की रही। मणिपुर के चुनाव में भी बीजेपी के फैसलों में हिमंत की खासी दखल रही है। ऐसा माना जा रहा है कि मणिपुर में कांग्रेस को शिकस्त देने के लिये हिमंत ने रणनीति तैयार की।
हिमंत बिस्वा शर्मा के बारे में कहा जाता है कि उनकी संगठन चलाने और किसी भी राजनीतिक संकट से निपटने में महारत हासिल है। वो बीजेपी महासचिव और उत्तर-पूर्व प्रभारी राम माधव के विश्वस्त लोगों में से एक हैं। उन पर ही मणिपुर में रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। चाहे वो चुनाव के दौरान की रणनीति हो या फिर चुनाव के बाद की।
शर्मा ने मणिपुर में भी असम की सफलता को दोहराया और बीजेपी को मणिपुर में 21 साटें दिलाईं जहा बीजेपी का नामोनिशान भी नहीं था। उन्होंने वहां पर NPP और NPF जैसे कांग्रेस विरोधी दलों को एकजुट किया और अलग-अलग चुनाव लड़ाया ताकि विभिन्न समुदायों का वोट एकजुट रहे।
चुनाव के बाद कांग्रेस भले ही बहुमत से तीन सीट दूर 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी। लेकिन बीजेपी ने 21 सीटों के साथ सरकार बनाई। दरअसल उसके सहयोगियों ने बीजेपी को समर्थन दिया।
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हेमंत की रणनीति में मणिपुर के ट्राइबल इलाके रहे, जहां आपस में टकराव है और टकराव को ही बीजेपी चुनावों में फायदा मिला।
अगस्त 2015 में कांग्रेस छोड़कर बाजेपी में शामिल हुए हिमंत के बारे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गोगोई अपने करीबी रहे हिमंत विश्व शर्मा को साथ रखने में विफल रहे। वे असम के बराक और ब्रह्मपुत्र की घाटियों वाले क्षेत्र में लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हैं।
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अरुणाचल में भी कांग्रेस में हुई फूट के लिये शर्मा की ही भूमिका मानी जाती है।उन्होंने ही कांग्रेस के 40 विधायकों को बगावत करने के लिये प्रेरित किया। इसके अलावा नागालैंड में भी एनपीएफ भी एनडीए सरकार का हिस्सा है।
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