'गोलमाल अगेन' रिव्यू: लॉजिक नहीं मैजिक के साथ फुल मनोरंजन
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी, लोकेशंस, कैमरा वर्क पर काफी शानदार काम किया गया है। साजिद-फरहाद का बेहतरीन संवाद, गानों का कॉम्बिनेशन खासतौर पर बैकग्राउंड म्युजिक कमाल का है।
नई दिल्ली:
फिल्ममेकर रोहित शेट्टी हर बार गोलमाल सीरीज के जरिये अपने दर्शकों को हंसाने और गुदगुदाने में कामयाब रहे हैं। 20 अक्टूबर (शुक्रवार) को अजय देवगन, अरशद वारसी, तब्बू, कुनाल खेमू, तुषार कपूर, परिणीति चाेपड़ा जैसे सितारों सजी 'गोलमाल अगेन' फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है।
डायरेक्टर शेट्टी ने साल 2006 में 'गोलमाल: फन अनलिमिटेड' और 2008 में 'गोलमान रिटर्न्स', 2010 में 'गोलमान 3' बनाई थी। अब सात साल बाद वह 'गोलमाल' सीरीज की अगली फिल्म 'गोलमाल अगेन' लेकर आए हैं।
आइए आपको बताते हैं फिल्म में इस बार कॉमेडी के साथ और क्या खास है, जिसे दर्शक देखने के लिए सिनेमाघरों तक जाएं।
कहानी
फिल्म की कहानी शुरू होती है जमनादास अनाथ आश्रम से, जहां गोपाल (अजय देवगन), लकी (तुषार कपूर), माधव (अरशद वारसी), लक्ष्मण1 (श्रेयस तलपड़े), लक्ष्मण 2 (कुणाल केमू) और पप्पी (जॉनी लीवर) का बचपन बीता है। इस अनाथालय में ऐना (तब्बू) नाम की लाइब्रेरियन भी है, जो आत्माओं को देख सकती है और उनसे बात भी कर सकती है।
सेठ जमनादास की किसी बात पर नाराज हो कर गोपाल और लक्ष्मण (श्रेयास तलपड़े) आश्रम को छोड़कर भाग जाते हैं। उनके पीछे-पीछे माधव, लकी और लक्ष्मण (कुनाल खेमू) भी आश्रम को छोड़ देते हैं। लेकिन जमनादास की तेरहवीं में शामिल होने के लिए वह सभी मिल जाते हैं।
फिल्म में गोपाल एक नंबर का डरपोक बना है, जिसे अंधेरे और भूत से काफी डर लगता है। इसी डर की वजह से इन सभी को पता चल पाता है कि जमनादास के साथ-साथ उस रात किसी और का भी खून हुआ था। जी हां, उस दिन खुशी का भी गला दबाया गया था, जिसे कभी उन्होंने अपने हाथों में खिलाया था।
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'गोलमान अगेन' में निखिल (नील नितिन मुकेश) और वासु रेड्डी (प्रकाश राज) की भी अहम भूमिका है। कहानी में ट्विस्ट- टर्न्स आते हैं, इसके साथ ही रोहित ने हर बार की तरह इस बार भी फिल्म में कुछ सस्पेंस रखा है, जो आपको देखने के बाद ही पता चलेगा।
फिल्म में आप गोलमाल सीरीज के सभी किरदारों जैसे (जॉनी लीवर) के साथ साथ वसूली भाई (मुकेश तिवारी), बबली भाई (संजय मिश्रा) की एक्टिंग को काफी इंज्वॉय करेंगे।
फिल्म में क्या है खास
फिल्म में बड़े-बड़े सेट्स और साउथ की खूबसूरती को दिखाया गया है। तमिलनाडु की हरियाली और कलरफुल लोकेशंस आपको आकर्षित करेंगी। रोहित शेट्टी की शूटिंग का स्टाइल भी आपको देखने में हमेशा की तरह दिलचस्प और खास लगेगा।
फिल्म की टैगलाइन इस दिवाली लॉजिक नहीं मैजिक देखना, इस पर पूरा फिट बैठती है। फिल्म लंबी होने के बावजूद आप अच्छी कॉमेडी और जबर्दस्त डायलॉग के चलते इसे काफी इंज्वॉय करेंगे।
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी, लोकेशंस, कैमरा वर्क पर काफी शानदार काम किया गया है। साजिद-फरहाद का बेहतरीन संवाद, गानों का कॉम्बिनेशन खासतौर पर बैकग्राउंड म्युजिक कमाल का है।
फिल्म की कमजोर कड़ियां
फिल्म लगभग ढाई घंटे की है, जो कि काफी लंबी है। इंटरवल के बाद फिल्म की रफ्तार कहीं कहीं धीमी पड़ जाती है, जिससे आप थोड़ा बोर हो जाएंगे। फिल्म में डबल मीनिंग डायलॉग्स की भरमार है और कभी भी फिल्म में भूत की एंट्री हो जाती है, जो काफी बोरिंग लगती है।
खैर, रोहित शेट्टी और गोलमाल सीरीज के फैंस के लिए ये फिल्म फुल धमाल और एंटरटेन करने वाली है। वैरायटी लाने के लिए रोहित ने दुखद पलों में भी कॉमेडी भर दी है, जिसमें फूहड़ता नहीं झलकती।
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