मध्य प्रदेश में 22 दिन में 38 किसानों ने की आत्महत्या, दिल्ली में प्रदर्शन
मध्य प्रदेश में किसानों की खुदकुशी का सिलसिला जारी है। वहीं किसानों की बदहाली के खिलाफ किसान संगठनों ने दिल्ली में प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश में किसानों की खुदकुशी का सिलसिला जारी है। वहीं किसानों की बदहाली के खिलाफ किसान संगठनों ने दिल्ली में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी किसानों ने फसल उत्पादों की पर्याप्त कीमत तथा ऋण माफी की मांगों पर भी जोर दिया।
मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में एक किसान ने पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली। शनिवार को सागर में कर्ज से परेशान किसान ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या की थी। राज्य में 22 दिनों में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 38 हो गई है।
विपक्षी कांग्रेस के मुताबिक, 26 दिनों में 57 किसानों ने आत्महत्या की है। शहडोल जिले के चचाई गांव निवासी किसान शंभू बैसवार (35) ने रविवार की शाम एक पेड़ में फंदा डालकर फांसी लगा ली।
देवलोंद थाना के प्रभारी अभिमन्यु दुबे ने कहा कि किसान शंभू की आत्महत्या की प्राथमिक तौर पर जो वजह सामने आई है, वह उसकी बीमारी है। घर परिवार के लोग भी यही कह रहे हैं।
वहीं सागर जिले में राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र में किसान प्रेमलाल अहिरवार (24) ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। प्रेमलाल खुरई थाने के सेमराहाट गांव का रहने वाला था। परिजनों के अनुसार, प्रेमलाल ने अपनी डेढ़ एकड़ जमीन ढाई लाख का कर्ज लेकर सूदखोर को गिरवी रखी थी, जिससे वह परेशान था।
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इस तरह राज्य में बीते 22 दिनों में कर्ज और सूदखोरों से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 38 हो गई है। वहीं कांग्रेस की ओर से किसानों की मौत को लेकर जारी किए गए ब्यौरे के मुताबिक, 26 दिन में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 57 हो गई है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का आरोप है कि सरकार के दवाब में पुलिस किसानों की आत्महत्या की संख्या दबाने में लगी है। पुलिस ने रिपोर्ट में 'कर्ज के कारण आत्महत्या' लिखना बंद कर दिया है।
किसानों का प्रदर्शन
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की 'किसान विरोधी नीतियों' तथा मध्य प्रदेश में पिछले महीने पुलिस की गोलीबारी में छह किसानों की मौत के विरोध में 500 से अधिक किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को विरोध रैली निकाली। प्रदर्शनकारी किसानों ने फसल उत्पादों की पर्याप्त कीमत तथा ऋण माफी की मांगों पर भी जोर दिया।
62 किसान संगठनों के समन्वय संगठन राष्ट्रीय किसान महासंघ (आरकेएम) ने जंतर-मंतर से नीति आयोग तक एक विरोध मार्च निकाला, लेकिन उन्हें पुलिस ने बीच रास्ते में रोककर हिरासत में ले लिया।
मूलत: पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश से आए किसानों ने नरेंद्र मोदी सरकार से उत्पादन लागत से 50 फीसदी अधिक मुनाफे के चुनावी वादे को पूरा करने तथा एम.एस.स्वामीनाथन की सिफारिशों को लागू करने की मांग की।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के संयोजक शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने सरकार पर मौजूदा आंदोलन को राजनीति रंग देने और बदनाम कर कुचलने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, 'सरकार तथा केंद्रीय कृषि मंत्री गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। किसानों के आक्रोश की जिम्मेदार इस सरकार की नाकाम कृषि नीतियां हैं। हमारी मांग स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को पूर्णतया लागू करना तथा कर्ज के जाल में फंसे किसानों का ऋण माफ करना है।'
मंसा से आए किसान पवित्र सिंह तथा नजर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में कृषि उत्पादों की कीमतों में लगातार गिरावट से पंजाब में किसानों की खुदकुशी की घटना में इजाफा हो रहा है।
ऋण माफी तथा मुआवजे के बीच एक और मुद्दे, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसान जीएसटी लागू होने के बाद खाद, कीटनाशक, ट्रैक्टर तथा अन्य कृषि उपकरणों की कीमतें बढ़ने से परेशान हैं।
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