बिजली संकट को लेकर मध्य प्रदेश में हाहाकार, बीजेपी और कांग्रेस में बढ़ी तकरार
बुधवार को बीजेपी ने जिला स्तर पर प्रदर्शन किया और मार्च निकाला.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश में गहराते बिजली संकट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच तकरार बढ़ गई है. बुधवार को बीजेपी ने जिला स्तर पर प्रदर्शन किया और चिमनी यात्रा निकाली. वहीं कांग्रेस का दावा है कि वर्तमान सरकार के काल में शिवराज सरकार के काल से कम बिजली गुल हो रही है. बीजेपी ने तय आंदोलन के मुताबिक राजधानी सहित राज्य के जिला मुख्यालयों पर चिमनी यात्रा निकाली, इसमें सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी शामिल हुईं.
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राज्य की बिजली व्यवस्था के गड़बड़ाने का प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, 'राज्य सरकार बिजली कटौती से पीड़ित जनता की चीख पुकार नहीं सुन पा रही है, इसलिए चिमनी यात्रा के साथ कमलनाथ सरकार की नींद हराम करने निकले हैं.' राकेश सिह ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा, 'हालात बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, जहां सरकार पानी और बिजली जैसी समस्याओं पर भी अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाए कभी अधिकारियों को कोसती है तो कभी बिजली उपकरणों की गुणवत्ता पर प्रश्न खड़े करती है. जबकि इन्हीं बिजली उपकरणों के द्वारा पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश में निर्बाध बिजली की आपूíत की जा रही थी. कमलनाथ सरकार की इस हरकत से यह आशंका बढ़ गई है कि सरकार बिजली संकट की आड़ में कोई ट्रांसफार्मर और अन्य बिजली उपकरणों की खरीदी का घोटाला करना चाहती है.'
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दूसरी ओर कांग्रेस ने राज्य की बिजली व्यवस्था बीजेपी के शासनकाल से बेहतर होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी प्रदेश में भ्रम फैला रही है. कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने संवाददाताओं से कहा, 'बीजेपी की रातों की नींद एवं दिन का चैन सत्ता की बत्ती गुल होने से चला गया है. प्रदेश बीजेपी नेताओं को अपने भविष्य में अंधियारा ही अंधियारा दिखाई दे रहा है.'
ओझा ने दावा किया, '10 जून, 2019 को पिछले वर्ष की तुलना में अर्थात 10 जून, 2018 की अपेक्षा बिजली की खपत में 48 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. विद्युत वितरण कंपनी के आंकड़े बताते हैं कि जहां 10 जून, 2018 को 1246 लाख यूनिट विद्युत की खपत दर्ज की गई थी, वही 10 जून, 2019 को 2114 लाख यूनिट दर्ज की गई. अर्थात 48 प्रतिशत की वृद्घि यह दर्शाती है कि मध्यप्रदेश समृद्धि की ओर तेजी से बढ़ रहा है.'
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कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी शासन काल में विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा अधिक बिजली काटी जाती थी. सुपरवाइजरी कन्ट्रोल एंड डेटा एक्वि जिशन की इंदौर, भोपाल और जबलपुर की रिपोर्ट बताती है कि शून्य से पांच मिनिट से लेकर एक घंटे तक विद्युत की आपूíत विभिन्न फीडरों के माध्यम से बीजेपी शासनकाल में अधिक बाधित होती थी.
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