पहले के समय में जब सीमेंट, टाइल्स और महंगे फर्श नहीं थे, तब ग्रामीण इलाकों में लोग अपने घरों को गोबर से लीपते थे. यह परंपरा सिर्फ सफाई या सुंदरता के लिए नहीं थी, बल्कि इसके पीछे कई कारण छिपे थे. यह परंपरा सिर्फ सफाई या सुंदरता के लिए नहीं थी, बल्कि इसके पीछे कई कारण भी छिपे थे, जिनके बारे में शायद बहुत से लोग नहीं जानते. तो आइए, आज इसके पीछे की वजहों को समझते हैं.
फफूंदी हटाने में मदद
पहले के समय में जब सीमेंट, टाइल्स और महंगे फर्श नहीं थे, तो गांव इलाकों में लेोग अपने घरों को गोबर से लीपते थे. यह परंपरा सिर्फ सफाई या सुंदरता के लिए नहीं थी, बल्कि गोबर में प्राकृतिक कीटाणुनाशक गुण होते हैं. यह घर की जमीन और दीवारों पर मौजूद बैक्टीरिया और फफूंदी को हटाने में मदद करता था.
ठंडा घर
गर्मियों में गोबर का लेप घर को ठंडा बनाए रखता है और सर्दियों में यह गरमी बनाए रखने में मदद करता है. वहीं कच्चे घरों में जमीन पर धूल उड़ती रहती है. गोबर से लीपने पर ज़मीन चिकनी और साफ हो जाती थी, जिससे धूल उड़ने की संभावना कम हो जाती थी.
लक्ष्मी का वास
गोबर की गंध और उसमें मौजूद जैविक तत्व मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीड़ों को दूर रखते हैं. खासकर बारिश के मौसम में यह बहुत फायदेमंद होता था. शास्त्रों के अनुसार, गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए इसे घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता है.
फर्श को मजबूत बनाना
जब कच्चे घरों में नियमित रूप से गोबर से फर्श लीपा जाता था, तो वह ज्यादा टिकाऊ और मजबूत बनता था. इससे ज़मीन में दरारें नहीं पड़ती थीं और पानी भी जल्दी नहीं जाता था.
शुभ काम में उपयोग
हिंदू धर्म में गाय को पवित्र माना गया है. इसलिए गाय का गोबर भी पवित्र माना जाता है. किसी के घर में जब भी पूजा-पाठ होता था, तो उससे पहले घर को गोबर से लीपना जरूरी माना जाता था.
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