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Mouth Breathing Problem
Side Effects Of Mouth Breathing: कई बार हम सुबह उठते हैं तो महसूस करते हैं कि मुंह बहुत सूखा हुआ है या तकिए पर लार के निशान हैं. ये संकेत हो सकते हैं कि हम रात में मुंह खोलकर सांस ले रहे थे, यानी नाक के बजाय मुंह से सांस ले रहे थे. हालांकि यह सामान्य लग सकता है, लेकिन लगातार मुंह से सांस लेना सेहत पर कई तरह से नकारात्मक असर डाल सकता है.
नाक से सांस लेने का महत्व
हमारा शरीर सामान्य तौर पर नाक से सांस लेने के लिए बना है. जब हम नाक से सांस लेते हैं, तो हवा पहले नाक के रास्ते से होकर गुजरती है, जहां वह साफ, गर्म और नम होती जाती है. नाक के अंदर छोटे-छोटे सिलिया और म्यूकस धूल, प्रदूषण, बैक्टीरिया जैसी हानिकारक चीजों को रोकते हैं. इस प्रक्रिया से फेफड़ों तक पहुंचने वाली हवा शरीर के लिए ज्यादा उपयुक्त होती है. लेकिन जब किसी कारणवश नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता है, तो शरीर स्वाभाविक रूप से मुंह से सांस लेने लगता है. यही आदत अगर लंबे समय तक बनी रहे तो इसे मुंह से सांस लेना कहा जाता है. आइए जानते हैं कि लोग नाक के बजाय मुंह से सांस क्यों लेते हैं और इसका सेहत पर क्या असर पड़ता है?
लोग नाक के बजाय मुंह से सांस क्यों लेते हैं?
नाक बंद होना
सर्दी-जुकाम, एलर्जी, या साइनस की समस्या के कारण नाक बंद हो जाती है. ऐसे में नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता है, और शरीर स्वाभाविक रूप से मुंह से सांस लेने लगता है.
बढ़े हुए एडेनोइड्स या टॉन्सिल्स
बच्चों में अक्सर एडेनोइड्स या टॉन्सिल्स बढ़ जाते हैं, जिससे नाक का रास्ता बंद हो जाता है. इस कारण भी लोग नाक के बजाय मुंह से सांस लेते हैं.
नाक की बनावट में गड़बड़ी
यदि किसी का सेप्टम टेढ़ा है या नाक में पॉलीप्स हैं, तो हवा का रास्ता रुक सकता है, जिसके कारण मुंह से सांस लेना आसान हो जाता है.
जबड़े या चेहरे की बनावट
कुछ लोगों के चेहरे या जबड़े की बनावट ऐसी होती है कि मुंह थोड़ा खुला रहता है, जिससे मुंह से सांस लेना सहज हो जाता है.
आदत या व्यवहार
कभी-कभी बचपन में अंगूठा चूसने या बार-बार मुंह खुला रखने की आदत से भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है.
स्लीप एपनिया
यह एक नींद से जुड़ी समस्या है जिसमें सोते समय सांस रुक-रुक कर चलती है. इस स्थिति में भी लोग मुंह खोलकर सांस लेने लगते हैं.
मुंह से सांस लेने का क्या होता है सेहत पर असर?
मुंह का सूखापन और बदबूदार सांस
लार हमारे मुंह को नम और साफ बनाए रखती है. मुंह से सांस लेने पर लार सूख जाती है, जिससे बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और सांस से बदबू आने लगती है.
दांत और मसूड़ों की बीमारियां
लार में ऐसे खनिज होते हैं जो दांतों को मजबूत बनाए रखते हैं. मुंह का सूखापन दांतों में कैविटी और मसूड़ों की सूजन का कारण बन सकता है.लंबे समय तक ऐसा रहने पर दांत ढीले भी हो सकते हैं.
नींद से जुड़ी समस्याएं
मुंह से सांस लेने से नींद की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है. इससे स्लीप एपनिया जैसी समस्या हो सकती है, जिसमें रात में सांस रुक-रुक कर चलती है और दिमाग को पूरी तरह ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. इसके कारण दिनभर थकान, चिड़चिड़ापन और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है.
बच्चों में चेहरे और दांतों की ग्रोथ पर असर
यदि कोई बच्चा लगातार मुंह से सांस लेता है, तो उसका चेहरा लंबा और जबड़ा पतला हो सकता है. इससे दांत टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं और भविष्य में ऑर्थोडॉन्टिक इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
ब्रेन फॉग और थकान
मुंह से सांस लेने पर शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम जाती है, जिससे दिमाग ठीक से काम नहीं करता है. इसके कारण व्यक्ति दिनभर सुस्ती और "ब्रेन फॉग" यानी मानसिक धुंध का अनुभव करता है.
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