प्यार के लिए जहां कुछ लोग अपने पार्टनर की जान दे रहे हैं तो कुछ लोग प्यार में जेंडर चेंज करवाते हैं. इन दिनों आपने देखा होगा कि कई लोग जेंडर चेंज करवा रहे है. वहीं अब लोगों के मन में जेंडर चेंज को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है कि जेंडर चेंज कैसे होता है और क्या इसे कोई भी करा सकता है. आइए आपको बताते है.
होती है ये बीमारी
एक्सपर्ट के मुताबिक जिन लोगों को जेंडर डायसफोरिया होता है. वो इस प्रकार का ऑपरेशन कराते हैं. इस बीमारी में लड़का, लड़की की तरह और लड़की लड़के की तरह जीना चाहती है. कई लड़के और लड़कियों में 12 से 16 साल के बीच जेंडर डायसफोरिया के लक्षण शुरू हो जाते हैं, लेकिन समाज के डर की वजह से ये अपने माता-पिता को इन बदलावों के बारे में बताने से डरते हैं.
समाज का डर
वहीं हमारे समाज में आज भी कई ऐसे लड़के और लड़कियां हैं जो इस समस्या के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, लेकिन इस बात को किसी से बताने से डरते हैं. लेकिन जो हिम्मत जुटाकर कदम उठाते हैं. वे जेंडर चेंज के लिए सर्जरी कराने का फैसला लेते हैं.
क्या है इसका प्रोसेस
जेंडर चेंज करवाने की प्रोसेस काफी लंबा और खर्चीला होता है. इसमें मरीज के हार्मोन थेरेपी दी जाती है. उसके शरीर में हार्मोन बदलने की दवाएं इंजेक्शन के जरिए डाली जाती हैं. इसके बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं और इसके बाद ही सर्जरी हो सकती है.
मेडिकल प्रोसेस
महिला को अगर पुरुष बनना है तो 33 तरह की मेडिकल प्रोसेस हैं और पुरुष को महिला बनना है तो उसे 18 तरह की मेडिकल प्रोसेस से गुजरना पड़ता है. वहीं शरीर में हार्मोनल बदलाव के बाद सर्जरी के जरिए महिला या पुरुष को प्राइवेट पार्ट की शेप को बदला जाता है. प्राइवेट पार्ट के साथ साथ मरीज के फेस, बाल, कान के शेप और यहां तक कि नाखून के शेप भी बदल दिए जाते हैं.
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