इन दिनों सेपरेशन और तलाक के मामले काफी ज्यादा सामने आ रहे है. जहां एक तरफ बैडमिंटन स्टार साइना ने शादी के 7 साल बाद पति से अलग होने का फैसला किया है. वहीं दूसरी ओर 'पांड्या स्टोर' फेम एक्ट्रेस पल्लवी राव ने अपने पति सूरज राव से अलग होने की जानकारी दी. लेकिन कई लोगों को ये नहीं पता की सेपरेशन और तलाक में क्या फर्क होता है. आइए आपको बताते है.
सेपरेशन और तलाक में फर्क
कई लोग इन दोनों शब्दों का मतलब नहीं समझ पाते हैं. लेकिन कानूनी भाषा की बात करें तो इन दोनों शब्दों का मतलब अलग होता है. तलाक का मतलब होता है कि रिश्ता पूरी तरह खत्म हो जाता है, लेकिन ज्यूडिशियल सेपरेशन का मतलब होता है कि कोर्ट की अनुमति के साथ पति-पत्नी कुछ टाइम के लिए अलग रह सकते हैं, लेकिन कानूनी रूप से पति-पत्नी ही बने रहते हैं. यह एक तरह का 'कूलिंग ऑफ पीरियड' होता है जिसमें दोनों को सोचने का टाइम मिलता है.
इन कारणों से होते हैं सेपरेशन
लड़ाई-झगड़े
जब पति -पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े ज्यादा बढ़ जाते हैं तो दोनों का साथ रहना मुश्किल होता है, लेकिन वो एक-दूसरे से तलाक नहीं लेना चाहते है, तो ऐसे में कपल ज्यूडिशियल सेपरेशन के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है. यह एक तरह का कानूनी तरीका है जिसमें कोर्ट की अनुमति से दोनों लोग कुछ समय के लिए अलग रहकर भविष्य में साथ रहना है कि नहीं, इसका फैसला करते हैं.
शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना
अगर पति या पत्नी, शारीरिक या मानसिक रूप से अपने पार्टनर को प्रताड़ित करते हो, किसी एक ने धर्म परिवर्तन कर लिया हो, या मानसिक बीमार हो, तो पति-पत्नी कोर्ट में जाकर ज्यूडिशियल सेपरेशन के लिए अर्जी दे सकते हैं.
एक्सट्रा मैरिटल अफेयर
किसी एक का एक्सट्रा मैरिटल अफेयर हो, पार्टनर दूसरे को बिना बताए छोड़कर चला जाए, या वैवाहिक जिम्मेदारियां न निभा रहा हो, तो भी पति-पत्नी कोर्ट में जाकर ज्यूडिशियल सेपरेशन के लिए अर्जी दे सकते हैं.
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