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World Day Against Child Labour 2025
World Day Against Child Labour 2025: हर साल की तरह इस साल भी 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस यानि एंटी चाइल्ड लेबर डे मनाया जा रहा है. इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य बाल श्रम को रोकना और उसे खत्म करना है. एंटी चाइल्ड लेबर डे की शुरुआत साल 2002 में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को बाल मजदूरी से निकालकर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से 'द इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन' ने की थी.
हालांकि कई राज्यों में अभी भी स्थिति ऐसी है कि बच्चे शिक्षा न पाकर मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं. सरकार लगातार बाल मजदूरी को रोकने के लिए अपनी ओर से काम कर रही है, लेकिन ये अभी तक खत्म नहीं हो पाया हैं. आइए जानते हैं भारत में बाल मजदूरी पर कितनी सजा मिलती है और सबसे ज्यादा बाल मजदूर कहां हैं...
भारत के किस राज्य में सबसे ज्यादा बाल श्रम
साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 5-14 आयु वर्ग के एक करोड़ से भी ज्यादा बच्चे बाल श्रम की दलदल में हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 15.2 करोड़ बच्चे बाल श्रम के लिए मजबूर हैं. मौजूदा समय में इनकी संख्या घटने की जगह बढ़ती जा रही है. जानकारी के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा बाल मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हैं. यहां कुल बाल मजदूरों की संख्या करीब 55 प्रतिशत है. सबसे ज्यादा बाल मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं.
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ये है बाल श्रम की सजा
कोई भी व्यक्ति जो 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को काम पर रखता है, उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860, बंधुआ मजदूरी प्रणाली अधिनियम 1976, बाल श्रम अधिनियम 1986, किशोर न्याय अधिनियम 2000 सहित बाल श्रम के खिलाफ महत्वपूर्ण कानूनों के तहत कार्रवाई हो सकती है.
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