ये है दुनिया का अनोखा मंदिर, जहां तलाक के बाद दो साल तक रह सकती हैं महिलाएं!

Divorce Temple in Japan: दुनिया भर में हजारों मंदिर हैं, हर मंदिर की अपनी कहानी और धार्मिक मान्यता होती है. लेकिन जापान में एक ऐसा मंदिर है, जिसे तलाक मंदिर के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में...

Divorce Temple in Japan: दुनिया भर में हजारों मंदिर हैं, हर मंदिर की अपनी कहानी और धार्मिक मान्यता होती है. लेकिन जापान में एक ऐसा मंदिर है, जिसे तलाक मंदिर के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में...

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Rajvant Prajapati
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Divorce Temple in Japan

Divorce Temple in Japan: दुनिया भर में हजारों मंदिर हैं, हर मंदिर की अपनी कहानी और धार्मिक मान्यता होती है. कुछ मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं. भारत में देवी-देवताओं को समर्पित कई मंदिर हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा मंदिर है जो अपनी अनोखी परंपरा के लिए फेमस है. आमतौर पर लोग अपनी मनोकामना पूरी करने और आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में जाते हैं, लेकिन जापान में एक ऐसा मंदिर है, जिसे तलाक मंदिर के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में...

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अनोखा मंदिर का नाम

बता दें, जापान के कामाकुरा शहर में स्थित यह अनोखा मंदिर है, जिसका इतिहास करीब 700 साल पुराना है. इस मंदिर को 'तलाक मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है. तालक मंदिर उन महिलाओं के लिए एक आश्रय स्थल है जो घर के झगड़े से परेशान या अत्याचार का शिकार हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि सालों पहले, जब जापान में महिलाओं के अधिकार कम थे, तब इस मंदिर की स्थापना की गई थी. तब यहां आकर महिलाएं ठीक होती थीं.

जापान के तलाक मंदिर के दरवाजे हर उस महिला के लिए खुले रहते थे जो अपने पति के झगड़े से परेशान या अत्याचार का शिकार हुई हैं. यहां आकर उन्हें न केवल शारीरिक सुरक्षा मिलती थी बल्कि एक ऐसा माहौल भी मिलता था जहां वे आध्यात्मिक शांति पा सकती थीं. तलाक मंदिर आज भी उन महिलाओं के लिए है जो किसी भी तरह के अत्याचार का सामना कर रही हैं.

तलाक के बाद तीन साल तक रह सकती हैं

ऐसा माना जाता है कि तलाक मंदिर में महिलाएं अपने पति से तलाक देने के बाद तीन साल तक रह सकती थीं.बाद में इस अवधि को घटाकर दो साल कर दिया गया. यहां रहकर महिलाएं न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होती थीं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी मिलता था. कई सालों तक इस मंदिर में केवल महिलाओं को ही प्रवेश की अनुमति थी. लेकिन 1902 में जब एंगाकु जी ने इस मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया तो यहां पुरुष मठाधीशों की नियुक्ति की गई और पुरुषों को भी प्रवेश की अनुमति दी गई.

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othesDisclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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