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Magh Mela 2026
Magh Mela 2026: हर साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर माघ मेले का आयोजन होता है. यह मेला हिंदू आस्था और विश्वास का एक बड़ा पर्व माना जाता है. यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है. आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां स्नान करने से पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. इस पवित्र अवसर पर दूर-दूर से साधु-संत, कल्पवासी और करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचते हैं. माना जाता है कि इस अवधि में संगम में स्नान करने से मन और इंद्रियों पर नियंत्रण की अद्भुत शक्ति मिलती है. चलिए आपको बताते हैं साल 2026 में माघ मेला कब है? पवित्र स्नान तिथियां और धार्मिक महत्व के बारे में.
माघ मेला 2026 कब लगेगा?
पंचांग के मुताबिक, माघ मेला की शुरुआत पौष पूर्णिमा के दिन से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलेगी. यानी माघ मेला 3 जनवरी 2026 से शुरू होकर 15 फरवरी 2026 तक चलेगा. इस दौरान 6 प्रमुख माघ स्नान किए जाएंगे, जिसमें मौनी अमावस्या के स्नान को सबसे प्रमुख स्नान माना जाता है.
2026 के प्रमुख स्नान और तिथियां
स्नान पर्व तिथि विशेषता
पौष पूर्णिमा 3 जनवरी 2026 मेले का शुभारंभ और कल्पवास की शुरुआत
मकर संक्रांति 14 जनवरी 2026 अत्यंत पुण्यदायी स्नान, लाखों श्रद्धालु शामिल
मौनी अमावस्या 18 जनवरी 2026 सबसे बड़ा स्नान पर्व, ध्यान और दान का विशेष महत्व
वसंत पंचमी 23 जनवरी 2026 सरस्वती पूजन और बसंत का स्वागत
माघी पूर्णिमा 1 फरवरी 2026 कल्पवासियों के लिए महत्वपूर्ण दिन
महाशिवरात्रि 15 फरवरी 2026 अंतिम स्नान और मेला समापन
सुरक्षा और सुविधा व्यवस्था
प्रयागराज प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक और विशेष तैयारियां की हैं. 10,000 से अधिक CCTV कैमरे, ड्रोन मॉनिटरिंग, AI आधारित भीड़ प्रबंधन, मेडिकल कैंप और एंबुलेंस सुविधा दी गई है. साथ ही श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे अपना पहचान पत्र साथ रखें, गर्म कपड़े, दवाइयां और पानी की बोतल अवश्य रखें. इसके अलावा आप आधिकारिक अपडेट के लिए प्रयागराज DM वेबसाइट www.prayagraj.nic.in या सरकारी ऐप पर चेक कर सकते हैं.
माघ मेला 2026 धार्मिक महत्व
माघ मेला सिर्फ एक आयोजन नहीं बल्कि मोक्ष और आध्यात्मिक साधना का मार्ग माना जाता है. यहां किए गए जप, ध्यान और स्नान को अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है. मकर संक्रांति के बाद सूर्य उत्तरायण होता है. मान्यता है कि उत्तरायण काल में पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है और मुक्ति की प्राप्ति होती है.
कैसे पहुंचे मेला?
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है. 2 जनवरी 2026 से कई महत्वपूर्ण ट्रेनें सूबेदारगंज स्टेशन से संचालित होंगी, ताकि प्रयागराज जंक्शन पर भीड़ कम हो सके.
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