भारत में नवजात शिशु के माथे पर एक छोटा सा काला टीका लगाया जाता है. यह टीका आमतौर पर मां के हाथों से प्यार से लगाया जाता है. देखने में यह छोटा सा काला धब्बा भले ही एक सजावटी बिंदु जैसा लगे लेकिन इसके पीछे बहुत गहरा भाव, संस्कृति, आस्था और प्राचीन परंपरा छिपी होती है. बच्चों को काला टीका लगाना सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि विज्ञान, आयुर्वेद और मां के भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है. आइए आपको इसके पीछे की साइंस बताते हैं.
नजरों से बचाना
भारतीय संस्कृति में यह माना जाता है कि छोटे बच्चे बहुत ही मासूम और खूबसूरत होते हैं. उनकी यह मासूमियत अनजाने में दूसरों की नजर या ईर्ष्या का कारण बन सकती है. इस नकारात्मक ऊर्जा से बच्चे को बचाने के लिए मां, दादी या नानी बच्चों के माथे पर काला टीका लगाती है. जिसे नजर का टीका भी कहा जाता है.
कहां लगाया जाता है टीका
यह टीका आमतौर पर घर में बने हुए काजल से बनाया जाता है. जिसे कभी-कभी घी या कपूर के साथ मिलाया जाता है. यह आंखों को ठंडक देने और संक्रमण से बचाने वाले माने जाते हैं. यह टीका सिर्फ माथे तक सीमित नहीं होता है. कभी-कभी बच्चों के कान के पीछे, हथेली या पैर के तलवे पर भी लगाया जाता है.
ममता से जुड़ी
इस परंपरा को मां अपनी मां से सिखती है और वह अपनी बेटी को सिखाती है. यह केवल काजल का टीका नहीं बल्कि मां की गई प्रार्थना होती है. यह एक भाव है कि संस्कार है जो टाइम के साथ भी नहीं मिट पाया. आज के मॉडर्न दौर में भी यह प्रथा उतनी ही मजबूत है जितनी सदियों पहले थी. इसलिए जब अगली बार आप किसी बच्चे के माथे पर यह काला टीका देखे तो जानिए कि एक सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि मां का विज्ञान और विश्वास का मेल है.
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