सीता-गीता, जुडवां, चालबाज, डुप्लिकेट जैसी फिल्में तो आपने खूब देखी होंगी. जिसमें डबल रोल था, लेकिन असल दुनिया में यह संभव है या नहीं. वहीं आप जब भी किसी से पूछेंगे कि हमारी शक्ल के दुनिया में कितने लोग हैं तो उनका जवाब आएगा 7 लोग.वहीं कई बार हमें अपने आसपास मिलती-जुलती शक्ल के लोग दिख भी जाते हैं. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
क्या कहता है विज्ञान
दुनिया में एक चेहरे के जितने इंसान होते हैं वो एक-दूसरे से बिल्कुल अंजान होते हैं. इनको हैट्रोपैटर्नल सुपरफेक्यूंडेशन कहा जाता है. वहीं विज्ञान के मुताबिक, एक शक्ल के दो लोग कभी नहीं हो सकते हैं. वहीं उनमें फर्क साफ नजर आता है. हमशक्ल को देखने के लिए आंख, कान, नाक व बालों की बनावट जैसे आठ गुण मिलाए जाते हैं. अगर सब कुछ मैच हो रहा होता है तो उसे जुड़वां कहते हैं.
हमशक्ल मिलना इत्तेफाक
वहीं हमशक्ल का मिलना सिर्फ इत्तेफाक हो सकता है, लेकिन इसके पीछे कोई साइंस नहीं है. क्योंकि हर इंसान की बनावट जीन के आधार पर होती है और वो इंसान में अलग-अलग होते हैं. इसलिए आपको हमशक्ल नहीं मिल सकते हैं.
जहन में बस जाते हैं चेहरे
कुछ लोगों के हमशक्ल मिलने की उम्मीदें अक्सर रहती हैं.खासतौर से ऐसा औसत रंग-रूप वाले लोगों के साथ ज्यादा होता है. फिर हमको कुछ चेहरे दिखाई देते हैं और वे हमारे जहन में बस जाते हैं. ऐसी ही तस्वीरें देखने पर हम समझते हैं कि हमने हमशक्लों को देखा है. हालांकि आज के डिजिटल दौर में जितनी तेजी से लोगों की फोटोज वायरल होती हैं, पूरी उम्मीद है कि आने वाले वक्त में हमशक्ल भी नजर आने लगेंगे. फिलहाल तो हमशक्लों का ख्याल सिर्फ फैंटेसी के लिए छोड़ देना उचित होगा.
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