GBS सिंड्रोम से आपको कितना खतरा? लक्षण से लेकर रिकवरी तक, यहां पढ़ें पूरी जानकारी

GBS Syndrome: महाराष्ट्र के कई शहरों में गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के लगातार बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है.

GBS Syndrome: महाराष्ट्र के कई शहरों में गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के लगातार बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है.

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Neha Singh
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GBS Syndrome

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GBS Syndrome: भारत में कोविड-19 के बाद अब एक नई बीमारी Guillain-Barre Syndrome ने लोगों को डराना शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र के कई शहरों में गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के लगातार बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है. खबर लिखे जाने तक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुणे में एक मरीज मौत हो गई थी. वहीं पुणे में 100 से अधिक लोगों में जीबीएस के मामले दर्ज किए गए हैं. करीब 16 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिरकार GBS सिंड्रोम से उन्हें कितना खतरा है? इसके लक्षण क्या हैं और किस उम्र के लोगों को सबसे ज्यादा ये चपेट में ले रहा है? आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.

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किस उम्र के लोगों को GBS Syndrome का सबसे ज्यादा खतरा?

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए विश्लेषण से ये पता चला है कि GBS Syndrome बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को प्रभावित कर रहा है. जो मामले सामने आए हैं उनमें करीब 19 मरीज 9 साल से कम उम्र के हैं. वहीं 10 मरीज 65-80 की उम्र के हैं. 

Guillain-Barre Syndrome आपके लिए कितना खतरनाक?

मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक Guillain-Barre Syndrome होने पर ये आपके पेरीफेरल नर्वस पर अटैक करता है. इसकी वजह से तंत्रिकाएं मांसपेशियों की गति, शरीर में दर्द के संकेत देती हैं. इतना ही नहीं तापमान और शरीर को छूने पर होने वाली संवेदनाओं का भी एहसास कराती हैं. 

गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण 

चलने या सीढ़ियां चढ़ने में असमर्थ होना.
पेशाब पर नियंत्रण न रह जाना या हृदय गति का बहुत बढ़ जाना.
पैरों में कमजोरी जो शरीर के ऊपरी हिस्से तक फैल सकती है.
हाथ और पैर की उंगलियों, टखनों या कलाई में सुई चुभने जैसा एहसास.
बोलने, चबाने या निगलने में परेशानी होना.

गुलियन बैरी सिंड्रोम से रिकवरी कैसे होती है?

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार GBS का अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं है.
इसके लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर दवा देते हैं.
इस बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर इम्यूनोथेरेपी का सहारा लेते हैं.
वेंटिलेटर सपोर्ट, फिजियोथेरेपी की मदद ली जाती है.
दर्द और ऐंठन को दूर करने के लिए डॉक्टर दवाई देते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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