History of Kadhi: सर्दियों में गर्मागर्म कढ़ी खाना भला किसे पसंद नहीं होता है. पकौड़े से लेकर पालक और सेब से लेकर गाजर तक की कढ़ी भारतीय रसोई में तैयार की जाती है. कढ़ी एक पारंपिक भारतीय व्यंजन है जो हर भारत की हर रसोई में जरूर बनता है. लेकिन क्या आपको पता है भारत में सबसे पहले किस राज्य में कढ़ी बनी थी? इसे कैसे बनाया गया था? कढ़ी का इतिहास क्या है? अगर नहीं तो ये खबर जरूर पढ़िए. यूं तो कढ़ी की उत्पत्ति के बारे में अलग-अलग मतभेद हैं, लेकिन यह माना जाता है कि कढ़ी की उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई थी. कढ़ी-चावल को पंजाबियों से रिलेट किया जाता है लेकिन कढ़ी की जड़ें राजस्थान से जुड़ी हैं.
कढ़ी बनने की कहां से हुई शुरुआत ?
खाद्य इतिहासकारों के अनुसार, देश के अलग-अलग हिस्सों में कढ़ी को अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और सुगंध भी अलग-अलग देखने को मिलती है. कई लोगों का मानना है कि कढ़ी जैसा शाही व्यंजन राजस्थान के शाही घरानों से ही निकला होगा. यह व्यंजन मारवाड़ी और राजस्थानी व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इतिहासकारों के अनुसार, कढ़ी की उत्पत्ति राजस्थान में हुई थी और बाद में यह गुजरात और सिंध तक फैल गई. कढ़ी की उत्पत्ति गुजरात में भी हो सकती है, लेकिन राजस्थान में इसकी उत्पत्ति के बारे में अधिक प्रमाण हैं. एक अन्य मत के अनुसार, कढ़ी की उत्पत्ति गुजरात में हुई थी, जहां यह व्यंजन काठियावाड़ी और गुजराती व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. मुगल काल में भी कढ़ी का जिक्र मिलता है.
पहले कैसे बनती थी कढ़ी?
शेफ कुणाल बताते हैं कि कढ़ी की शुरुआत एक पारंपरिक व्यंजन के रूप में हुई थी जब घरों में दूध की अधिकता होती थी. दूध से मक्खन निकालने के बाद बची छाछ का इस्तेमाल करके एक खास व्यंजन तैयार किया जाता था. राजस्थान में पहली बार कढ़ी को बेसन और दही से नहीं बनाया गया था, बल्कि छाछ और मक्के के आटे का इस्तेमाल किया गया था.
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