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Bhai Dooj 2025
Bhai Dooj 2025: भाई दूज भाई-बहन के पवित्र और अनोखे रिश्ते को समर्पित एक प्रमुख त्योहार है. यह दिवाली और गोवर्धन पूजा के बाद मनाया जाता है. इस साल भाई दूज 23 अक्टूबर 2025 को पड़ रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है. रक्षाबंधन के अलावा यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं भारत के किन-किन राज्यों में भाई दूज मनाने की विविध परंपराएं क्या है.
भारत में भाई दूज की विविध परंपराएं
पश्चिम बंगाल में 'भाई फोंटा'
पश्चिम बंगाल में भाई दूज को 'भाई फोंटा' के नाम से जाना जाता है. यह काली पूजा के दो दिन बाद मनाया जाता है. इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों के लिए भव्य भोज का आयोजन करती हैं और व्रत भी रखती हैं. बहनें भाई के माथे पर चंदन, काजल और घी का तिलक लगाकर उनकी खुशहाली और सुरक्षा की कामना करती हैं.
बिहार और उत्तर प्रदेश में भाई दूज
उत्तर भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश में यह त्योहार अलग अंदाज में मनाया जाता है. बहनें अपने भाइयों को गालियां देती हैं और सजा स्वरूप सुई चुभाती हैं, यह परंपरा भाइयों को बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए होती है. इस दौरान भाई के माथे पर टीका लगाया जाता है और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है.
महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में भाऊबीज
महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में भाई दूज को भाऊबीज कहा जाता है. बहनें अपने भाई के लिए उपवास रखती हैं, और उन्हें कड़ीठ फल खिलाती हैं. भाई के माथे पर तिलक करके उनकी दीर्घायु, स्वास्थ्य और सफलता की कामना की जाती है. जिन बहनों के भाई नहीं होते, वे अपने हाथों पर मेहंदी लगाकर चंद्र देव की पूजा करती हैं. इस दिन भाइयों को मिठाइयों में खीरनी, पूरी, श्रीखंड और बासुंदी पूरी खाने को दी जाती हैं.
नेपाल में भाई टीका
नेपाल में भाई दूज को भाई टीका के नाम से मनाया जाता है. इसे मैथली, नेवारी, बाहुन, छेत्री और थारु समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. बहनें इस दिन यमराज से अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और उनके माथे पर सात रंग का तिलक लगाती हैं. इसके बाद आरती और मिठाइयां बांटकर भाई-बहनों का आशीर्वाद लिया जाता है.
भाई दूज न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक परंपराओं का भी प्रतीक है. भारत और नेपाल में विभिन्न राज्यों और समुदायों द्वारा इसे अलग-अलग रूपों में मनाने की परंपरा इस त्योहार को और भी खास बनाती है.