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विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो से होगी मृगनयनी साड़ी की ब्रांडिंग

देश और दुनिया में शिल्पकला के लिए खास अहमियत रखने वाले विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो की ब्रांडिंग की कोशिश की जा रही है।

Updated on: 21 Feb 2021, 02:39 PM

highlights

  • राज्य के तीन पर्यटन स्थल खजुराहो, भीम बैटका और सांची को यूनेस्को की सूची में स्थान मिला है।
  • खजुराहो ब्रांड की साड़ी के पीछे मकसद बुनकरों को रोजगार दिलाना है।
  • इन साड़ियों को पहनने पर आत्मगौरव की भी अनुभूति होगी।

 

 

भोपाल :

देश और दुनिया में शिल्पकला के लिए खास अहमियत रखने वाले विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो की ब्रांडिंग की कोशिश की जा रही है। इस पहल का सहारा बनने जा रही है मृगनयनी की साड़ियां, जो चंदेरी और महेश्वर में बनती हैं। इन दिनों खजुराहो में नृत्य महोत्सव चल रहा है और इस महोत्सव के दौरान मध्य प्रदेश हस्तशिल्प विकास निगम ने खास तरह की चंदेरी और महेश्वर निर्मित साड़ियां लॉन्च करने की योजना बनाई है। इन साड़ियों के पल्ले पर खजुराहो के सिर्फ मंदिर का अक्स होगा (अश्लीलता वाले चित्रों से रहित) और पूरे बॉर्डर पर नर्तकी नजर आएंगी। हस्तशिल्प विकास निगम से मिली जानकारी के अनुसार, यो साड़ियां चंदेरी और महेश्वर के बुनकरों ने तैयार की हैं और यह सिर्फ मृगनयनी के शोरूम पर ही मिलेंगी। खजुराहो की ब्रांडिंग की यह अपने तरह की पहल है जिसमें न तो प्रचार पर बजट लगना है और ना ही इसके लिए कोई अभियान चलाए जाने की जरुरत है। इससे पहले हस्तशिल्प विकास निगम इस तरह की कोशिशें कर चुका है, उदाहरण के तौर पर सांची का अंगौछा भी खास है।

बताया गया है कि चंदेरी और महेश्वर के बुनकरों ने लगभग आठ माह की मेहनत के बाद यह 'खजुराहेा ब्रांड' साड़ी तैयार की है। वैसे भी इन दोनांे स्थानों की साड़ियों की देश और दुनिया में खास मांग होती है, मगर यह अपने तरह की पहल है जो एक पर्यटन स्थल को भी नई पहचान दिलाने का काम करेगी।

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ज्ञात हो कि राज्य के तीन पर्यटन स्थल -- खजुराहो, भीम बैटका और सांची को यूनेस्को की सूची में स्थान मिला है। इसके बाद भी स्थानीय लोग मानते हैं कि राज्य को हमेशा समस्या और पिछड़े इलाके के तौर पर प्रचारित किया जाता है। इसी तरह का दुष्प्रचार भी खूब होता है। इसकी बड़ी वजह स्थानीय लोगांे की आत्महीनता को माना जाता है।

निगम के अधिकारियों का मानना है कि खजुराहो ब्रांड की साड़ियो से जहां देश के विभिन्न हिस्सों और दुनिया के लोगों को खजुराहो के मंदिरों को देखने का मौका मिलेगा और उनमें यहां आने की लालसा बढ़ेगी, इससे पर्यटन भी बढ़ेगा। इतना ही नहीं इन साड़ियों को पहनने पर आत्मगौरव की भी अनुभूति होगी।

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हस्तशिल्प विकास निगम के संचालक राजीव शर्मा का कहना है कि खजुराहो ब्रांड की साड़ी के पीछे मकसद बुनकरों को रोजगार दिलाना तो है ही, साथ में विशिष्ट किस्म की साड़ी को बाजार में लाना भी है, जिससे बुनकर की आत्मनिर्भरता बढ़े और उसके उत्पाद बाजार में नए तरह से मुकाबला करने में सक्षम हों।