Maharashtra Day 2025: क्यों पसंद की जाती है पैठणी साड़ी? क्या है इस शाही डिजाइन और रॉयल चॉइस का इतिहास?

Maharashtra Day 2025: पैठणी साड़ी महाराष्ट्र की पारंपरिक शान है, जिसकी जड़ें प्राचीन इतिहास से जुड़ी हैं. शुद्ध सिल्क, सोने की ज़री और रंगीन पंखों जैसे डिजाइन इसे शाही लुक देते हैं. 

Maharashtra Day 2025: पैठणी साड़ी महाराष्ट्र की पारंपरिक शान है, जिसकी जड़ें प्राचीन इतिहास से जुड़ी हैं. शुद्ध सिल्क, सोने की ज़री और रंगीन पंखों जैसे डिजाइन इसे शाही लुक देते हैं. 

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Priya Singh
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Maharashtra Day 2025 On Paithani Sarees

Maharashtra Day 2025 On Paithani Sarees

Maharashtra Day 2025: जब बात हो शाही और पारंपरिक साड़ियों की, तो महाराष्ट्र की मशहूर पैठणी साड़ी का नाम सबसे ऊपर आता है. रेशम की यह बेशकीमती साड़ी केवल एक कपड़े का टुकड़ा नहीं, बल्कि कलात्मकता, परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. चलिए महाराष्ट्र स्थापना दिवस के अवसर पर जानते हैं कि पैठणी साड़ी Fashion का इतिहास क्या है, इसकी शुरुआत कहां से हुई और आज के दौर में इसकी अहमियत कितनी है.

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प्राचीन शहर "पैठन" पर पड़ा साड़ी का नाम

Design Zari Paithani Saree

पैठणी साड़ी की कहानी (Paithani Saree History) शुरू होती है दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से. इसका नाम महाराष्ट्र के एक प्राचीन शहर "पैठन" से पड़ा, जो औरंगाबाद के पास स्थित है. पहले ये साड़ियां केवल राजघरानों और खास अमीर तबके के लिए ही बुनी जाती थीं. कहा जाता है कि सातवाहन वंश के समय में पैठणी साड़ियों का चलन काफी बढ़ गया था. इन साड़ियों को शुद्ध रेशम और असली ज़री (सोने और चांदी की तार) से बुना जाता था, और एक साड़ी को बनने में 6 महीने से 1 साल तक का समय लग जाता था. इसका हर एक डिजाइन हाथ से बनाया जाता है, और यही इसे खास बनाता है.

साड़ी पर होती हैं मोर, कमल, पंखुड़ी जैसी पारंपरिक आकृतियां

Ethnic Motifs Zari Paithani Saree

पैठणी साड़ी की सबसे खास बात है इसका बॉर्डर और पल्लू. इसमें अक्सर मोर, कमल, आम, पंखुड़ी, नारियल, तोता, और अजरख जैसी पारंपरिक आकृतियां दिखाई देती हैं. इन डिजाइनों के पीछे भी कहानी है- मसलन, "मोर वाला पल्लू" रॉयल्टी और नृत्य का प्रतीक माना जाता है, वहीं "लोटस डिजाइन" समृद्धि और सुंदरता दर्शाता है.

रंगों का भी होता है खास महत्व (Origin Of Paithani Sarees)

Silk Blend Paithani Saree

पैठणी साड़ियों में इस्तेमाल होने वाले रंग भी बहुत खास होते हैं. जैसे कमल के फूल के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला नारंगी रंग ऊर्जा और खुशहाली का प्रतीक होता है. नीला रंग नीलांबरी का दर्शाता है, जिसका मतलब है गहराई और आत्मा की शांति. हरितांबरी को परदर्शित करने के लिए इन साड़ियों में हरे रंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसका मतलब है नई शुरुआत और प्रकृति. गुलाबी रंग का उपयोग गुलाबीनांबरी को दिखाने के लिए किया जाता है, जो नारीत्व और कोमलता का प्रतीक है. इन रंगों को रेशम में पूरी तरह से घोल दिया जाता है, ताकि वे सालों तक फीके न पड़ें.

आधुनिक दौर में पैठणी की पहचान

Paithani Saree

आज भले ही साड़ियां कम पहनी जाती हों, लेकिन पैठणी साड़ी का क्रेज कम नहीं हुआ है. अब यह सिर्फ शादी या पारंपरिक फंक्शन में ही नहीं, बल्कि फैशन शो, सेलिब्रिटी लुक्स और डिजाइनर कलेक्शन का भी हिस्सा बन चुकी हैं. कई बॉलीवुड अभिनेत्रियां, जैसे विद्या बालन, माधुरी दीक्षित, रेखा और काजोल, कई बार पैठणी साड़ी में नजर आई हैं. साथ ही, ब्राइडल लुक में भी पैठणी साड़ी बहुत पसंद की जाती हैं. खासतौर पर महाराष्ट्रियन दुल्हनें इस Traditional Maharashtrian Sarees को पहनना खूब पसंद करती हैं. 

Disclaimer: इस लेख में दिए गए प्रॉडक्ट्स का चुनाव मिंत्रा पर दी गई यूजर रेटिंग के आधार पर किया गया है। इन उत्पादों की बिक्री, गुणवत्ता और कीमतों आदि से संबंधित किसी भी विवाद के लिए न्यूज नेशन उत्तरदायी नहीं है। ऊपर दिए गए उत्पादों के संबंध में लिखे गए आर्टिकल के लेखन का न्यूज नेशन के पत्रकारों से कोई संबंध नहीं है।

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