दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण का महिलाओं की प्रेग्नेंसी पर पड़ा असर, बढ़े मिसकैरेज के मामले, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Air Pollution Health Effects: वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. दिल्ली एनसीआर में बढ़ते गर्भपात के मामले चिंता बढ़ा रहे हैं.

Air Pollution Health Effects: वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. दिल्ली एनसीआर में बढ़ते गर्भपात के मामले चिंता बढ़ा रहे हैं.

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Akansha Thakur
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Air Pollution Health Effects

Air Pollution Health Effects

Air Pollution Health Effects: अब तक माना जाता था कि प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों और दिल को नुकसान पहुंचाता है. लेकिन नए शोध इससे कहीं ज्यादा चिंता बढ़ाने वाले हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदूषण पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रहा है. सबसे गंभीर असर महिलाओं की प्रेग्नेंसी पर देखा जा रहा है. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण और खराब AQI के कारण अस्पतालों में गर्भपात के मामले बढ़ रहे हैं. डॉक्टर इसे बेहद चिंताजनक स्थिति मान रहे हैं.

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रिपोर्ट में क्या हुआ खुलासा? 

हाल ही में हुए एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अधिक प्रदूषण महिलाओं के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है. लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से महिलाओं की प्रेग्नेंसी पर बुरा असर पड़ता है. रिपोर्ट बताती है कि इससे अंडों की संख्या और उनकी गुणवत्ता दोनों कम हो जाती हैं. इसका सीधा असर गर्भावस्था पर पड़ता है. 

दिल्ली-NCR में महिलाओं पर बढ़ता असर

भारत में दिल्ली-एनसीआर सबसे ज्यादा प्रदूषित इलाकों में शामिल है. यहां डॉक्टरों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं की अस्पतालों में संख्या बढ़ी है. अधिकतर महिलाएं सर्दी, खांसी और बुखार जैसी शिकायतों के साथ आ रही हैं. बढ़ते संक्रमण के कारण कई मामलों में IVF ट्रीटमेंट तक टालना पड़ रहा है.

AMH हार्मोन क्यों हो रहा है कम? 

शोध बताते हैं कि प्रदूषण के लंबे संपर्क से महिलाओं में AMH हार्मोन का स्तर घट जाता है. यह हार्मोन बताता है कि ओवरी में अंडों की संख्या कितनी है. अगर AMH कम हो जाए, तो इसका मतलब है कि अंडों की संख्या तेजी से घट रही है. इससे फर्टिलिटी पर सीधा असर पड़ता है. जब हवा में PM 2.5, PM 10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) का स्तर बढ़ता है, तो शरीर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. ये प्रदूषक AMH हार्मोन को तेजी से कम करते हैं. यही कारण है कि ज्यादा प्रदूषण वाली जगहों पर रहने वाली महिलाओं में फर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है.

हार्मोनल इम्बैलेंस और पीरियड्स पर असर

प्रदूषित हवा में रहने से हार्मोनल असंतुलन का खतरा भी बढ़ जाता है. इससे मासिक धर्म चक्र अनियमित हो सकता है. PM 2.5 और NO2 जैसे तत्व एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन को प्रभावित करते हैं. इसका असर सीधे प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है.

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