पीरियड्स के दौरान ब्लड क्लॉट्स के आने के हो सकते हैं कारण, इस बातों का रखें ध्यान

Blood Clots During Periods: पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म या माहवारी भी कहा जाता है, महिलाओं के शारीरिक चक्र का एक अहम हिस्सा है. यह समस्या कई महिलाओं के लिए चिंता का कारण बन सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नॉर्मल भी हो सकती है.

Blood Clots During Periods: पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म या माहवारी भी कहा जाता है, महिलाओं के शारीरिक चक्र का एक अहम हिस्सा है. यह समस्या कई महिलाओं के लिए चिंता का कारण बन सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नॉर्मल भी हो सकती है.

author-image
Priya Gupta
New Update
Blood Clots During Periods

Photo-social media

Blood Clots During Periods: पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म या माहवारी भी कहा जाता है, महिलाओं के शारीरिक चक्र का एक अहम हिस्सा है. यह एक नेचुरल प्रोसेस प्रक्रिया है, जो महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलावों के कारण होती है. इस दौरान महिलाओं को ब्लडिंग होता है, जो आमतौर पर तीन से सात दिनों तक जारी रहता है. हालांकि, कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान योनि से खून के साथ ब्लड क्लॉट्स (खून के थक्के) निकलने की समस्या होती है. ये क्लॉट्स शरीर के अंदर एक तरह के टिश्यू होते हैं, जो मासिक धर्म के दौरान यूट्रस (गर्भाशय) से बाहर निकलते हैं. 

Advertisment

यह समस्या कई महिलाओं के लिए चिंता का कारण बन सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नॉर्मल भी हो सकती है. आइए जानते हैं कि पीरियड्स के दौरान ब्लड क्लॉट्स आने के क्या कारण होते हैं और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है.

ब्लड क्लॉट्स आने के कारण

हॉर्मोनल असंतुलन: जब शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है, तो पीरियड्स के दौरान खून के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है. एस्ट्रोजन का लेवल हाय बल्ड फ्लो को धीमा कर सकता है, जिससे खून थक्के बन सकते हैं. 

थायरॉयड की समस्या: थायरॉयड ग्रंथि का असंतुलन भी ब्लड क्लॉट्स के कारण हो सकता है. थायरॉयड हार्मोन का असंतुलन शरीर के अन्य हार्मोनल लेवल को प्रभावित कर सकता है.

विटामिन-B12 की कमी: अगर शरीर में विटामिन B12 की कमी हो, तो खून के फ्लो में समस्या हो सकती है, जिससे खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ता है.

पीसीओएस और ओवेरियन सिस्ट: महिलाओं में पीसीओएस (Polycystic Ovarian Syndrome) या अंडाशय की सिस्ट जैसी स्थितियों में भी ब्लड क्लॉट्स का बनना आम हो सकता है.

फाइब्रॉइड्स: गर्भाशय में मौजूद फाइब्रॉइड्स भी पीरियड्स के दौरान अधिक बल्ड फ्लो और क्लॉट्स का कारण बन सकते हैं.

 ब्लड क्लॉट्स की समस्या को कैसे कम करें?

प्लास्टिक के उपयोग को कम करें: प्लास्टिक में ऐसे केमिकल्स होते हैं जो शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ा सकते हैं.इसलिए प्लास्टिक बोतल या डिब्बों का इस्तेमाल कम से कम करें और कांच या स्टील के कंटेनर का उपयोग करें.

कॉस्मेटिक्स का प्रयोग सीमित करें: कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में ऐसे केमिकल्स होते हैं, जो शरीर के हार्मोनल बैलेंस को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल सीमित करें.

पुदीना चाय का सेवन करें: पुदीना चाय हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखने में मदद कर सकती है. यह शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को कम करने में मदद करता है. जिससे ब्लड क्लॉट्स की समस्या कम हो सकती है.

तनाव कम करें: ज्यादा तनाव भी हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है, जिससे एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ सकता है. इसलिए मानसिक तनाव को कंट्रोल करने के लिए योग, ध्यान, और गहरी सांस लेने जैसे योगा की प्रैक्टिस करें.

स्वस्थ आहार अपनाएं: विटामिन-बी12 और आयरन से भरपूर आहार खाएं. हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, दालें और नट्स का सेवन करने से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है, जिससे पीरियड्स के दौरान ब्लड क्लॉट्स की समस्या कम हो सकती है.

जब डॉक्टर से संपर्क करें

अगर पीरियड्स के दौरान ब्लड क्लॉट्स बहुत अधिक मात्रा में आ रहे हों, दर्द ज्यादा हो, या अगर यह समस्या लगातार बनी रहे, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. डॉक्टर की मदद से आपको सही इलाज मिल सकता है और किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का पता चल सकता है.

ये भी पढ़ें-BPSC Judicial Result 2024: बिहार ज्यूडिसियल सर्विस परीक्षा के नतीजे घोषित, इस लिंक करें चेक

ये भी पढ़ें-BPSC Judicial Result 2024: बिहार ज्यूडिसियल सर्विस परीक्षा के नतीजे घोषित, इस लिंक करें चेक

blood period cramps Period cycle period cramp relief Period period leave
      
Advertisment