क्या आप भी एंटीबायोटिक दवाओं का कर रहे हैं इस्तेमाल? जानिए क्यों बढ़ रहा है इसका खतरा

WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में हर 6 में से 1 बैक्टीरियल इन्फेक्शन एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी पाया गया है. इसका मतलब कि इतने बैक्टीरियल इन्फेक्शन पर आम दवा काम नहीं कर रही.

WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में हर 6 में से 1 बैक्टीरियल इन्फेक्शन एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी पाया गया है. इसका मतलब कि इतने बैक्टीरियल इन्फेक्शन पर आम दवा काम नहीं कर रही.

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Akansha Thakur
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Antibiotic Resistance

Antibiotic Resistance (Wikipedia)

Antibiotic Resistance: WHO की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में हर 6 में से 1 बैक्टीरियलइन्फेक्शनएंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी पाया गया है. इसका मतलब है कि इन इन्फेक्शन पर आम दवाएं अब असर नहीं कर रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यह समस्या खास तौर पर मूत्र मार्ग (UrinaryTract) और ब्लड फ्लो (Bloodstream) में होने वाले इन्फेक्शनों में सबसे ज्यादा देखने को मिली है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट 2025 में यह भी बताया गया है कि भारत समेत दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में एंटीबायोटिकरेजिस्टेंस के मामले सबसे ज्यादा हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्थिति बेहद गंभीर है. ब्लड फ्लोइन्फेक्शन के करीब 70% मामले और E. Coliइन्फेक्शन के 78% से अधिक मामले ऐसे हैं जिन पर एंटीबायोटिक दवाएं असर नहीं कर रही हैं. इसका सीधा मतलब है कि सामान्य बीमारियों का इलाज अब पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है.

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एंटीबायोटिकरेजिस्टेंस क्या है?

एंटीबायोटिकरेजिस्टेंस एक ऐसी स्थिति है, जब शरीर में मौजूद बैक्टीरिया किसी दवा के प्रति प्रतिरोधक (resistant) बन जाते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि दवा का असर खत्म हो जाता है और बीमारी ठीक होने में बहुत ज्यादा समय लगता है या दवा काम ही नहीं करती. डॉक्टरों का कहना है कि अगर यही हालात बने रहे तो आने वाले समय में साधारण सर्दी-जुकाम या बुखार जैसी बीमारियां भी गंभीर रूप ले सकती हैं.

खतरा क्यों बढ़ रहा है?

सेल्फमेडिकेशन (SelfMedication)- लोग बिना डॉक्टर से सलाह लिए खुद ही एंटीबायोटिक दवाएं खरीद लेते हैं.

अधूरा कोर्स- दवा का पूरा कोर्स खत्म करने से पहले ही लेना बंद कर देते हैं.

दूसरों को दवा देना-जो दवा एक व्यक्ति के लिए लिखी गई है, उसे दूसरे को भी दे देते हैं.

गलत खुराक और बार-बार इस्तेमाल- इससे शरीर के हानिकारक बैक्टीरिया के साथ-साथ फायदेमंद बैक्टीरिया भी मर जाते हैं.

साफ-सफाई की कमी- गंदगी और संक्रमण के कारण शरीर को बार-बार दवाओं की जरूरत पड़ती है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता और घटती जाती है.

इन सभी कारणों से शरीर में ऐसे जीवाणु पैदा होने लगते हैं जो किसी भी एंटीबायोटिक से खत्म नहीं होते और यही एंटीबायोटिकरेजिस्टेंस कहलाता है.

अगर स्थिति नहीं संभली तो क्या होगा?

सामान्य बीमारियों का इलाज भी कठिन हो जाएगा. मरीजों को अस्पताल में ज्यादा दिन रहना पड़ेगा. इलाज का खर्च कई गुना बढ़ जाएगा. संक्रमण फैलने की संभावना और बढ़ जाएगी. डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि अगर इस पर अभी नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले सालों में यह एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन सकता है.

क्या करें और क्या न करें? 

  • किसी भी बीमारी में डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें.
  • एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स जरूर पूरा करें.
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें और इन्फेक्शन से बचाव के उपाय करें.
  • किसी और की दवा खुद पर इस्तेमाल न करें.
  • लक्षण कम होते ही दवा बंद न करें
  • बिना जरूरत बार-बार एंटीबायोटिक का सेवन न करें.

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