पति से मिलने की आस में अमेरिका जाने के लिए डंकी रास्ता चुना, 1 करोड़ गंवाए, अब कर्ज में डूबी महिला

लवप्रीत कौर और उनके बेटे को एक खतरनाक यात्रा के बाद अमेरिका से निर्वासित किया गया. वह ट्रंप प्रशासन द्वारा निर्वासित 104 भारतीय अवैध अप्रवासियों में से एक हैं.

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Mohit Saxena
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us plane (social media)

पंजाब में कपूरथला जिले के भोलाथ की 30 वर्षीय लवप्रीत कौर अपने दस वर्षीय बच्चे के साथ गुरुवार को भारत वापस लौट आईं. उनका नाम अमेरिका में अवैध भारतीय प्रवासियों की लिस्ट में था. उन्होंने बताया कि दो जनवरी को वह अपने बेटे के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना हुई थीं. वह अपने पति के संग रहने का सपना लेकर गई थीं. मगर उन्हें अमेरिकी सीमा अधिकारियों ने मेक्सिको के रास्ते देश में घुसने की कोशिश करते हुए पकड़ लिया.

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उन्होंने बताया कि इस यात्रा को लेकर परिवार ने सबकुछ दांव पर लगा दिया. उन्होंने बताया कि एजेंटों को 1.05 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. एजेंटों ने अमेरिका में 'डंकी' मार्ग से सुरक्षित प्रवेश कराने का वादा किया था. मगर अब उन्हें घर वापसी करनी पड़ी. 

अधिकांश पैसे का इंतजाम उनके पति ने किया था

लवप्रीत के पति ने ही परिवार को उसकी हिरासत की जानकारी दी. बाद में पुष्टि की कि उसे निर्वासित किया जा रहा है. यात्रा के लिए अधिकांश पैसे का इंतजाम उनके पति ने किया था. कुछ पैसे पति ने अमेरिका में जुटाए थे. वहीं परिवार ने अपनी छह बीघा खेती की जमीन पर कर्ज लिया था. लवप्रीत ने बताया, एजेंट ने हमारे परिवार से कहा कि वे हमें सीधे अमेरिका ले जाएंगे. लेकिन हमने यात्रा के दौरान बहुत कुछ साहा.

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लवप्रीत कौर को कैसे हिरासत में लिया?

लवप्रीत ने बताया कि उसे खतरनाक 'डंकी' मार्ग अपनाने के लिए मजबूर किया गया.  वह और उनके बेटे को कोलंबिया के मेडेलिन ले जाया गया और एक उड़ान में अल साल्वाडोर के सैन साल्वाडोर ले जाने से पहले करीब दो सप्ताह तक वहां रखा गया. वहां से वे ग्वाटेमाला तक तीन घंटे से अधिक समय तक पैदल चले. इसके बाद टैक्सियों से मैक्सिकन सीमा तक यात्रा की. लवप्रीत ने बताया, दो दिनों तक मैक्सिको में रहने के बाद, वे 27 जनवरी को अमेरिका चले गए.

पांच दिनों तक एक शिविर में रखा गया

यहां पर जब वे अमेरिका पहुंचे, तो जांच टीम ने उनसे सिम कार्ड और यहां तक ​​कि झुमके और चूड़ियां जैसे छोटे गहने भी हटाने को कहा. उनका सामान पहले ही पिछले देश में खो गया था. उन्हें पांच दिनों तक एक शिविर में रखा गया और 2 फरवरी को में कमर से पैरों तक जंजीरों से बांध दिया गया. हाथों में हथकड़ी लगा दी. केवल बच्चों को बख्श दिया गया. लवप्रीत ने बताया कि अमेरिकी सैन्य सी-17 विमान में बैठने पर उन्हें नहीं बताया गया कि वे कहां जा रही हैं. 40 घंटे के सफर के दौरान खामोशी छाई रही. किसी ने भी नहीं बताया कि कहां पर ले जाया जा रहा है. बाद में भारत पहुंचकर बड़ी हैरान हुई. अमृतसर हवाईअड्डे पर सूचना दी गई कि आप भारत पहुंच चुके हैं.

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