पति से अलग होने के बाद पत्नी के गुजारा भत्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि एक महिला दूसरे पति से भी गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी है फिर चाहे उसकी पहली शादी कानूनी तौर पर खत्म न हुई हो. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अगर महिला और पति सहमति से अलग हुए हैं तो कानूनी तालाक न होना, दूसरे पति से गुजारा मांगने से नहीं रोक सकता है.
तेलंगाना हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने महिला को दूसरे पति से गुजारा मिलने से इनकार कर दिया था, क्योंकि महिला की शादी को कानूनी रूप से खत्म नहीं किया गया था. पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.
ये है पूरा मामला
याचिकाकर्ता महिला ने पहले पति को कानूनी तौर पर तालाक दिए बगैर दूसरे पुरुष से शादी कर ली थी. प्रतिवादी को महिला की पहली शादी के बारे में भी पता था. दोनों साथ रहे और उन्हें एक बच्चा भी हुआ. हालांकि, कलह के कारण दोनों अलग हो गए. महिला ने इस वजह से गुजारे की मांग की, जिसके पक्ष में फैमिली ने फैसला भी सुनाया.
हालांकि, तेलंगाना हाईकोर्ट ने फैमिली के आदेश को रद्द कर दिया. क्योंकि पहली शादी कानूनी रूप से खत्म नहीं हुई थी. प्रतिवादी का तर्क है कि महिला को उसकी पत्नी नहीं मान सकते हैं क्योंकि महिला ने पहले पति के साथ कानूनी रूप से शादी खत्म नहीं की है.
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जब प्रतिवादी को महिला की पहली शादी के बारे में पता था तो वह इसलिए गुजारा से मना नहीं कर सकता कि महिला की पहली शादी कानूनी रूप से खत्म नहीं हुई. सर्वोच्च अदालत ने कहा- प्रतिवादी को पता था कि महिला की पहले शादी हुई है. अदालत ने आगे कहा कि भले ही महिला ने पहले पति से तालाक नहीं लिया लेकिन उन्होंने अलग होने का एमओयू पेश किया, जो बताता है कि दोनों ने अपने संबंधों को खत्म कर लिया है.
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