मोदी सरकार बीते कई सालों से 'एक देश-एक चुनाव' की बात करती आई है. अब उसे अमलीजामा पहनाने का मौका है. सरकार ने एक देश-एक चुनाव वाला बिल लोकसभा में मंगलवार को सामने रखा. कुछ दिन पहले ही मोदी कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी. अब इस बिल को सरकार संसद की संयुक्त समिति यानी जेपीसी के पास भेजेगी. एक देश-एक चुनाव को लेकर सरकार दो बिल सामने लेकर आई है. एक बिल संविधान संशोधन को लेकर है. वहीं दूसरा बिल जम्मू-कश्मीर और दिल्ली समेत केंद्र शासित प्रदेशों के साथ चुनाव से जुड़ा है.
देशभर में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर बीते वर्ष सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस वर्ष सितंबर में मोदी कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दी. रिपोर्ट में लोकसभा के साथ विधानसभा और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाने सुझाव दिया था.
ये भी पढे़ं: छात्र को ऐसी हरकत करने से रोका तो पिता और चाचा ने तोड़ दी शिक्षक की नाक
क्या है वोटों का गणित ?
एक देश-एक चुनाव का संविधान संशोधन बिल को पास कराने में सरकार को कड़ी मशक्कत करनी होगी. इसकी वजह है कि ये बिल संविधान संशोधन करेगा. ऐसे में ये तभी पास हो सकेगा, जब इसे संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त होगा.लोकसभा में अगर 543 सांसद मतदान में शामिल होंगे तो बिल पास कराने को लेकर 362 वोट मिलेंगे. इस तरह से राज्यसभा में इस बिल को पास करने को लेकर 164 वोट की आवश्यकता होगी. अभी लोकसभा में एनडीए के पास 292 सीटें मौजूद हैं. वहीं राज्यसभा में 112 सीटें हैं. छह मनोनीत सांसद भी एनडीए के संग हैं. इस दौरान बिल का विरोध करने वाली पार्टियों के पास लोकसभा में 205 और राज्यसभा में 85 सीटें मौजूद है. ऐसे में सरकार को इस बिल को पास कराने में विपक्ष की जरूरत होगी.
जानें किसका मिल सकता है साथ
एक देश, एक चुनाव बिल को पास कराने के लिए सरकार को अन्य राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिलना जरूरी है. केंद्र की एनडीए सरकार में भाजपा के साथ चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पहले से ही इस बिल के साथ है. वहीं टीडीपी ने इस पर किसी तरह का जवाब नहीं दिया.