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कावेरी इंजन Photograph: (X)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ‘कावेरी इंजन’ चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है. यूजर्स इस भारतीय तकनीकी पहल को लेकर गर्व और उम्मीद दोनों जता रहे हैं. यूजर्स कावेर इंजन के लिए फंड देने की बात कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है आखिर कावेरी इंजन भारत के लिए इतना अहम क्यों है?
डीआरडीओ ने कर रहा है काम
कावेरी इंजन भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (GTRE) ने विकसित किया है. इसका मकसद है भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए एक पूरी तरह स्वदेशी इंजन तैयार करना.
इसलिए कावेरी इंजन पर टिकी है निगाहें
फिलहाल तेजस Mk1A में अमेरिकी कंपनी GE का F404 इंजन इस्तेमाल होता है. हालांकि, इस इंजन की आपूर्ति में बार-बार देरी और इसकी ऊंची कीमतें भारत के लिए चुनौती बनती जा रही हैं. यही वजह है कि अब भारत की नजर अपने ही बनाए कावेरी इंजन पर टिकी है.
टेस्टिंग के लिए है तैयार
कावेरी इंजन का सफर आसान नहीं रहा. इसकी शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी और तमाम तकनीकी चुनौतियों के कारण इसे बार-बार झटका लगा. लेकिन अब जाकर यह इंजन इनफ्लाइट टेस्टिंग के लिए तैयार हो चुका है. इसकी उड़ान संबंधी जांच रूस में की जाएगी, जिससे यह तय होगा कि यह ऊंची ऊंचाई और तेज गति जैसे मुश्किल हालात में भी भरोसेमंद है या नहीं.
भारत की रक्षा प्रणाली होगी स्ट्रांग
अगर ये परीक्षण सफल होते हैं, तो भारत अपने लड़ाकू विमानों में विदेशी इंजन की जगह कावेरी को इस्तेमाल कर सकेगा. इससे देश की रक्षा प्रणाली में आत्मनिर्भरता आएगी और विदेशों पर निर्भरता कम होगी. बता दें कि दुनिया में सिर्फ पांच देश ही ऐसे हैं जो इतने एडवांस इंजन बनाते हैं, जिनमें अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं.
भारत खुद ही बनाएगा जेट्स
इस कदम का मतलब केवल तकनीकी तरक्की नहीं, बल्कि रणनीतिक मजबूती भी है. स्वदेशी इंजन होने से भारत को संकट की स्थिति में अपने विमान खुद तैयार करने की क्षमता मिलेगी. साथ ही, यह वैश्विक रक्षा बाजार में भारत को एक मजबूत खिलाड़ी बना सकता है. कुल मिलाकर, कावेरी इंजन न केवल एक मशीन है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत उड़ान है, जो तकनीक, गर्व और भविष्य के सपनों से जुड़ी हुई है.
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