क्यों आई पंजाब में भीषण बाढ़, क्या सच में ये प्राकृतिक आपदा थी?

पंजाब में आई आपदा में 57 लोगों की जान चली गई और 4,00,000 से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए. इस प्राकृतिक आपदा ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया कि क्या यह मानव निर्मित आपदा थी?

पंजाब में आई आपदा में 57 लोगों की जान चली गई और 4,00,000 से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए. इस प्राकृतिक आपदा ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया कि क्या यह मानव निर्मित आपदा थी?

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Ravi Prashant
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PUNJAB FLOOD

पंजाब में क्यों आई बाढ़? Photograph: (ani)

पंजाब, जिसे देश का अन्न भंडार कहा जाता है, इन दिनों दशकों की सबसे भयानक बाढ़ से जूझ रहा है. इस आपदा ने करीब 4 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित किया है. अबतक 57 लोगों की जान चली गई है. वहीं, लगभग 2,000 गांव डूब गए. शुरुआती अनुमान बताते हैं कि अब तक 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. सवाल यह है कि आखिर पंजाब बार-बार बाढ़ की चपेट में क्यों आ रहा है?

केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा? 

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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि इस आपदा के पीछे सबसे बड़ी वजह अवैध खनन है. उन्होंने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री और प्रकाश सिंह बादल पंजाब के मुख्यमंत्री थे, तब सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियों के तटबंध मजबूत बनाए गए थे. लेकिन लगातार हुए अवैध खनन ने इन तटबंधों को कमजोर कर दिया. नतीजा यह हुआ कि जब पानी का दबाव बढ़ा तो नदियों का पानी गांवों की ओर घुस गया. 

तो इसलिए आती हैं बाढ़

एक्सपर्ट मानते हैं कि यह समस्या सिर्फ अवैध खनन तक सीमित नहीं है. नदियों और नालों के किनारे बस्तियों के अतिक्रमण, अवैज्ञानिक निर्माण और लगातार रेत खनन ने पानी के प्राकृतिक बहाव को रोक दिया. इस वजह से नदियां अपना रास्ता बदल लेती हैं और पानी गांवों व शहरों में भर जाता है. 

पहली बार नहीं आई तबाही

यह पहली बार नहीं है जब पंजाब ने ऐसी तबाही देखी है. 2005, 2007 और 2010 में भी बाढ़ ने इसी पैटर्न पर तबाही मचाई थी. हर बार कमजोर तटबंध टूटे, नहरों का अवैध कटाव हुआ और कई बार असमय पानी छोड़ने से हालात और बिगड़े. 2023 की बाढ़ के दौरान भी यही तस्वीर सामने आई थी. 

साल 2023 में कुछ ऐसा था नजारा

बता दें कि साल 2023 में सतलुज नदी के पास बने रेलवे पुल के नीचे जलमार्ग में कचरा और गाद भरने से पानी का दबाव बढ़ा.  ब्यास नदी के रोड ब्रिज के नीचे जलमार्ग की चौड़ाई कम होने की वजह से तटबंध टूट गए. वहीं, नए बने हाईवे और एक्सप्रेसवे बिना प्राकृतिक जल प्रवाह का अध्ययन किए तैयार कर दिए गए. इससे बारिश और नदी का पानी इकट्ठा होकर आसपास के इलाकों को डुबाने लगा. 

साल 2025 में आई मौजूदा बाढ़ ने फिर साबित कर दिया कि जब तक अवैध खनन, अतिक्रमण और अवैज्ञानिक निर्माण पर सख्त रोक नहीं लगेगी, तब तक पंजाब हर कुछ साल बाद इस तरह की आपदाओं से जूझता रहेगा. असली चुनौती सिर्फ राहत और मुआवज़ा देने की नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसी स्थिति रोकने की है. 

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