Pahalgam Terrorist Attack: दुनिया के कई हिस्सों में जब भी आतंकवाद की बात होती है, तो एक नाम बार-बार सामने आता है पाकिस्तान. चाहे मुंबई हमला का 26/11 हो, पुलवामा या अब पहलगाम… एक पैटर्न बार-बार दिखता है. सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान में इतने आतंकवादी क्यों पैदा होते हैं? क्या ये सिर्फ चरमपंथ है या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति? हम यही समझने औऱ जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर पाकिस्तान आतंक की फैक्ट्री कैसे बना गया?
जिद्दाद के नाम पर तैयार करता है आतंकी
पाकिस्तान में हजारों मदरसे ऐसे हैं जहां आधुनिक शिक्षा के बजाय कट्टरपंथी विचारधारा सिखाई जाती है. छोटे बच्चों को कम उम्र से ही “जिहाद” के नाम पर ब्रेनवॉश किया जाता है. यही बच्चे बड़े होकर आतंकी संगठनों का हिस्सा बन जाते हैं, जो धर्म के नाम पर मासूम लोगों का खून करते हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि वह आतंकियों को ट्रेनिंग देती है, फंडिंग करती है और उन्हें भारत समेत अन्य देशों में भेजती है. ISI को पाकिस्तान की ‘शैडो आर्मी’ भी कहा जाता है. इसका काम ही है, आतंकी बनाना.
पाकिस्तानी सेना का समर्थन
पाकिस्तान की सेना और आतंकी संगठनों के बीच एक अघोषित गठजोड़ है. सेना इन आतंकियों को “स्ट्रैटजिक एसेट्स” यानी रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करती है, खासकर भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ. आज भी भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर इलाकों में पाकिस्तानी कैंप है, जो पाक सेना के द्वारा सपोर्ट में रन कराए जा रहे हैं.
भूखमरी औऱ गरीबी में बन जाते हैं आतंकी
पाकिस्तान में लाखों युवा गरीबी और बेरोजगारी के कारण असंतोष में जीते हैं. आतंकी संगठन इन्हें पैसे, उद्देश्य और ‘जन्नत’ के ख्वाब दिखाकर अपनी सेना में शामिल कर लेते हैं. जैसा कि आपको याद होगा, अजमल कसाब पाकिस्तान से आया था. वह पाकिस्तान के फरीदा कोट का रहने वाला था. इस हमले में मार गए सारे आतंकी पाकिस्तानी थी.
आखिर कब बंद होगी आतंक की फैक्ट्री
पाकिस्तान की राजनीति में कट्टरपंथी नेताओं और धार्मिक संगठनों का प्रभाव बहुत गहरा है. स्कूलों की किताबों में भी भारत विरोधी सोच भरी गई है, जिससे बचपन से ही नफरत की बीज बोए जाते हैं. पाकिस्तान में आतंकवाद सिर्फ एक समस्या नहीं है, यह एक सिस्टम है, जिसे राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य स्तर पर पोषित किया जाता है. जब तक पाकिस्तान इस ‘आतंक की फैक्ट्री’ को बंद नहीं करता, तब तक ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया असुरक्षित बनी रहेगी.
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