उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को बादल फटने से बड़ा हादसा हो गया. गंगोत्री धाम और मुखवा के समीप स्थित धराली गांव में अचानक बादल फटने से एक नाला उफान पर आ गया, जिससे पूरे इलाके में तबाही मच गई. पानी का बहाव इतना तेज था कि उसने कई घरों को अपने साथ बहा लिया. घटना के बाद राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है.
मौके पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के जवान तैनात हैं, जो लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं. उत्तरकाशी के डीएम प्रशांत आर्य ने जानकारी दी कि इस हादसे में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं. गांवों में भारी नुकसान हुआ है
कैसे फटता है बादल?
बादल फटना कोई साधारण बारिश नहीं होती, यह काफी तेज और सीमित क्षेत्र में अचानक होने वाली बारिश होती है. आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में यह घटना ज्यादा देखने को मिलती है, जहां नमी, तापमान और भौगोलिक परिस्थितियां मिलकर वातावरण में असंतुलन पैदा कर देती हैं. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अगर किसी सीमित क्षेत्र जैसे 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे के भीतर 100 मिलीमीटर या उससे अधिक बारिश हो जाए, तो इसे बादल फटना कहा जाता है.
क्यों फटता है बादल?
गर्मियों में जब वातावरण में तापमान बढ़ता है, तो हवा में नमी की मात्रा भी बढ़ जाती है. पहाड़ी इलाकों में जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह एकत्र होते हैं, तो उनकी घनत्व यानी डेनसिटी बहुत अधिक हो जाती है. इन बादलों में मौजूद जल की बूंदें आपस में मिलकर बड़ी-बड़ी बूंदों में बदल जाती हैं और जब उनका भार बढ़ जाता है, तो बादल उन्हें थाम नहीं पाता और अचानक बहुत ज्यादा मात्रा में पानी गिरता है. यही बादल फटने की प्रक्रिया है.
इसलिए होती है तबाही
बादल फटने से आई तेज बारिश आमतौर पर कुछ ही मिनटों में नालों और झरनों को उफान पर ला देती है. नतीजा होता है कि बाढ़ जैसी स्थिति, घरों का बह जाना, रास्तों का कट जाना और कई बार लोगों की जान तक चली जाती है.
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