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कौन हैं सोनम वांगचुक? Photograph: (@Wangchuk66/X)
Who is Sonam Wangchuk: लद्दाख, जो देश के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है, इन दिनों राजनीतिक संकट और आंदोलनों के दौर से गुजर रहा है. यहां के लोग लंबे समय से केंद्र सरकार से पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक गारंटियों की मांग कर रहे हैं. आंदोलन का नेतृत्व प्रसिद्ध इंजीनियर और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक कर रहे हैं, जो सतत तकनीक और पर्यावरण संरक्षण के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं.
लद्दाख की खत्म हो जाएगी पहचान
साल 2019 में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाते हुए लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया और इसे केंद्रशासित प्रदेश बना दिया. शुरुआत में इसे लेकर लोगों में उत्साह था, लेकिन समय बीतने के साथ स्थानीय जनता को लगा कि बिना विधानसभा और विशेष अधिकारों के लद्दाख की पहचान और हित खतरे में पड़ सकते हैं. इसी वजह से अब पूरे राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा की मांग जोरों पर है.
आंदोलन और पुलिस कार्रवाई
ताजा घटनाक्रम में लेह और आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और बंद का आयोजन किया गया. रिपोर्टों के मुताबिक जब कुछ युवा प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. इस दौरान हालात तनावपूर्ण हो गए. आंदोलनकारी चाहते हैं कि केंद्र सरकार के साथ होने वाली प्रस्तावित वार्ता को तुरंत आगे बढ़ाया जाए और लद्दाख को संवैधानिक अधिकार दिए जाएं.
कौन हैं सोनम वांगचुक?
सोनम वांगचुक न सिर्फ शिक्षा सुधारक हैं बल्कि तकनीकी नवाचार के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने सौर ऊर्जा और पर्यावरण हितैषी तकनीकों पर आधारित SECMOL कैंपस तैयार किया, जो पूरी तरह जीवाश्म ईंधन मुक्त है. वांगचुक ने लद्दाख की एकमात्र पत्रिका लदगास मेलोंग का संपादन भी किया और कई सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे. दिलचस्प बात यह है कि वे ही बॉलीवुड की फिल्म थ्री इडियट्स के किरदार की प्रेरणा रहे. अब वे युवाओं और छात्रों को लेकर राज्य के दर्जे की लड़ाई की अगुवाई कर रहे हैं.
भूख हड़ताल और बढ़ता गुस्सा
बता दें कि लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन (LAB) की युवा शाखा ने प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया था. दरअसल, 10 सितंबर से जारी 35 दिन की भूख हड़ताल के दौरान जब 15 लोगों में से दो की हालत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा, तभी गुस्सा और भड़क गया. यह भूख हड़ताल भी सोनम वांगचुक के नेतृत्व में चलाई जा रही थी.
लद्दाख का यह आंदोलन सिर्फ स्थानीय असंतोष नहीं है बल्कि यह सवाल उठाता है कि क्या केंद्र सरकार लद्दाख की सांस्कृतिक और भौगोलिक विशिष्टताओं को सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाएगी? सोनम वांगचुक और हजारों आंदोलनकारी साफ कर चुके हैं कि जब तक राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की गारंटी नहीं मिलती, उनकी लड़ाई जारी रहेगी.
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