आखिर क्या है तारीखों का खेल! महायुति को सरकार बनाने में क्यों हो रही देरी? जानें कब होगा शपथ ग्रहण समारोह

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर इसलिए हो रही देरी, सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है कि अमावस्या के कारण इस दिन हो सकता है शपथ ग्रहण समारोह. 

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Mohit Saxena
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mahayuti (social media)

Maharashtra News: महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन में लगातार देरी हो रही है. प्रचंड बहुमत के बाद भी अभी तक सरकार की रूपेरखा तय नहीं हो पाई है. वहीं विधायक दल का नेता भी नहीं चुना जा सका है. महायुति की जीत में इस बार सबसे   बड़ा योगदान भाजपा का रहा है. ऐसे में सीएम के चेहरे को लेकर बीते कई दिनों से  मंथन का दौर जारी है. आपको बता दें कि हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को बंपर जीत मिली है. इस चुनाव में भाजपा को 132, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं. इस आंकड़े के साथ ही सीएम पद को लेकर भाजपा की दावेदारी सबसे प्रबल मानी जा रही है.

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महायुती की सरकार बनाने में सबसे बड़ी परेशानी सीएम पद को लेकर थी. मगर गुरुवार रात को इस मसले का हल निकाल लिया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संग एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की बैठक हुई. इसमें तय हुआ ​कि सीएम  पद भाजपा को मिलना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीएम पद की इस रेस में देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे बताए जा रहे हैं. ऐसे संकेत भी अमित शाह की ओर दिए गए, जब उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के हाथों में गुलदस्ता दिया. 

किस लिए हो रही विधायक दल की बैठक में देरी 

महायुती में भाजपा को सीएम पद मिलने को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. आखिर विधायक दल के नेता का चुनाव अभी तक क्यों नहीं हो पाया है. इस बारे में अभी कोई अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. मगर सूत्रों की मानें तो आने वाले शनिवार और रविवार को दो दिन अमावस्या है. अमावस्या के समय किसी तरह का शुभ कार्य नहीं होता है. ऐसे मे 30 और एक तारीख को विधायक दल की बैठक नहीं हो सकेगी. एक तारीख की दोपहर तक यह अमावस्या रहने वाली है. अगर दोपहर बाद विधायक दल की बैठक होती है तो ऐसा हो सकता है कि दो दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह हो जाएगा. मगर इस तरह की संभावना काफी कम है. 

विभागों के बंटवारे को लेकर फंसा पेंच 

सीएम की कुर्सी का मसला सुलझाने के बाद अब विभागों के बंटवारा का मामला नहीं सुलझा है. भाजपा चाहती है कि सीएम पद के साथ उसे कम से कम 20 मंत्री मिले. वहीं एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम के साथ गृह और शहरी विकास मंत्रालय चाहते हैं. उनकी डिमांड 10 से 12 मंत्री पद की है. अजित पवार की एनसीपी भी कड़ी बार्गेनिंग में लगी है. अजित पवार खुद डिप्टी सीएम की कुर्सी और अपना पसंदीदा वित्त मंत्रालय चाहते हैं. इसके साथ वे  8 से 10 मंत्री पदों को भी चाहते हैं. 

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