पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के सख्त बयानों से साफ है कि अब जवाब ज़रूर दिया जाएगा और वह भी निशाना चुनकर. प्रधानमंत्री मोदी ने हमला करने वालों को “धरती के किसी भी कोने से खोज निकालने” की बात कही.
यह केवल एक भावनात्मक बयान नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक रणनीति भी दिखी, खासकर जब उन्होंने सेना के तीनों प्रमुखों, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, एनएसए और रक्षा मंत्री के साथ बैठक की और उन्हें खुली छूट दी, कैसे, कहां और कब जवाब देना है, यह सेना तय करेगी.
गृहमंत्री और रक्षा मंत्री ने दिया स्पष्ट मैसेज
इसके बाद केंदीय गृहमंत्री अमित शाह ने दो टूक कहा, “पहलगाम के हर गुनहगार को चुन-चुन कर जवाब मिलेगा.” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जनता को भरोसा दिलाया कि जैसा देश चाहता है, वैसा ही होगा. एक तरफ पाकिस्तान को यह संकेत मिल गया कि भारत कभी भी हमला कर सकता है.
यही वजह है कि पाकिस्तान ने अपने सैन्य संसाधनों को अलर्ट पर कर रखा है लेकिन यह आर्थिक रूप से कमजोर देश इस तरह की तैयारियों को लंबे समय तक झेल नहीं सकता है.
गर्वमेंट की कूटनीतिक स्ट्राइक
दूसरी ओर, देश की जनता को भी यह संदेश दिया गया है कि सरकार हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी है. इंडस वॉटर ट्रिटी पर रोक जैसी रणनीति पाकिस्तान के लिए संकट बन सकती है या तो सूखा या फिर बाढ़. इसके साथ ही IMF और FATF में पाकिस्तान की फंडिंग पर दबाव डाला जा रहा है.
पाकिस्तान ने कर दी बहुत बड़ी गलती
देश में एक व्यापक गुस्सा है, विशेषकर हिंदू समुदाय में क्योंकि पहली बार पर्यटकों को धर्म के आधार पर निशाना बनाकर मारा गया. यह गुस्सा केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दबाव भी है, जिससे सरकार अनजान नहीं है. सरकार की ओऱ से भी लगातार कई तरह के कदम उठाए गए हैं. पाकिस्तान की कमर हर मोर्चे पर तोड़ी जा रही है. फिर चाहे वह पानी की बंदी हो या फिर आर्थिक रूप से आतंक के सरपरस्त को असहाय बनाना. अंतरराष्ट्रीय मंच हों या फिर आतंकी ठिकानों को तबाह करना. दिन ब दिन भारत की ओर से पाकिस्तान को याद दिलाया जा रहा है कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है.
क्या ये है पाकिस्तान और चीन की चाल?
भारत तेजी से आर्थिक विकास की राह पर है. अमेरिका के साथ व्यापार समझौता संभावित है और चीन वैश्विक आपूर्ति में चुनौतियों से जूझ रहा है. ऐसे में यह हमला मोदी सरकार को उकसाने की कोशिश भी हो सकता है. पाकिस्तान खुद ‘युद्ध’ की बातें कर रहा है, जबकि भारत संयम बरत रहा है. अगर भारत जल्दबाज़ी में युद्ध छेड़ देता है, तो इससे उसकी वैश्विक छवि और आर्थिक गति पर असर पड़ सकता है. यही पाकिस्तान और चीन चाहते हैं.
खौफ में है पाकिस्तान
उधर भारत की ओर से उठाए जा रहे कदम और एक्शन ने पाकिस्तानी नेताओं से लेकर हर किसी की नींद उड़ा रखी है. पाकिस्तान अब तक अपने कई हथियारों की टेस्टिंग कर चुका है. इससे न सिर्फ वह अपने डर को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है बल्कि जनता में भी भरोसा कायम करने का प्रयास कर रहा है. हालांकि उसकी सभी कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं. क्योंकि भारत की कूटनीति ने उसकी सोच से कोसों परे है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोद कह भी चुके हं कि इस बार पाकिस्तान को उसकी कल्पना से परे सजा मिलेगी.
तो क्या भारत पाकिस्तान को छोड़ देगा?
बिल्कुल भी नहीं भारत सरकार पाकिस्तान के ऊपर अटैक करेगी लेकिन वक्त के साथ. फिलहाल सेना पूरे श्रीनगर इलाके में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है. भारत की रणनीति अब केवल बदला नहीं, बल्कि पाकिस्तान की आतंक-नीति को स्थायी रूप से समाप्त करने की है. लेकिन यह कदम सोच-समझकर, समय के साथ उठाया जाएगा. देश की भावना को सरकार समझ रही है. लेकिन जवाब रणनीतिक होगा न कि भावुकता से भरा. इसलिए विश्वास रखें कि पहलगाम का बदला जरूर लिया जाएगा, सही तरीके से, सही समय पर. यानी ये तो क्लियर है कि भारत हमला करेगा लेकिन समय आने पर.
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