"तीन बच्चे होने चाहिए, देश के नजरिए से तीन ठीक हैं", बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत

नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी वर्षगांठ पर चल रही व्याख्यानमाला “100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज” के तीसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या, धर्मांतरण और साम्प्रदायिक सौहार्द जैसे मुद्दों पर बड़ा बयान दिया है.

नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी वर्षगांठ पर चल रही व्याख्यानमाला “100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज” के तीसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या, धर्मांतरण और साम्प्रदायिक सौहार्द जैसे मुद्दों पर बड़ा बयान दिया है.

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Ravi Prashant
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_RSS chief Mohan Bhagwat

संघ प्रमुख मोहन भागवत Photograph: (X/@RSSorg)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने जनसंख्या, धर्मांतरण और साम्प्रदायिक सौहार्द जैसे मुद्दों पर बड़ा बयान दिया है. नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि परिवारों को आदर्श रूप से तीन बच्चों की नीति अपनानी चाहिए.

जनसंख्या और पारिवारिक संतुलन बना रहे

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मोहन भागवत ने कहा कि घर और समाज, दोनों स्तरों पर संतुलन बनाए रखने के लिए तीन बच्चों का होना जरूरी है. उनके अनुसार, “तीन बच्चों वाले परिवारों में बच्चों को अहंकार और आपसी तालमेल संभालना आता है.” उन्होंने भारत की आधिकारिक जनसंख्या नीति का हवाला देते हुए कहा कि औसत 2.1 बच्चे तय किए गए हैं, लेकिन चूंकि 0.1 बच्चा संभव नहीं है, इसका व्यावहारिक मतलब तीन बच्चे ही है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि तीन से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए.

जनसंख्या संतुलन और घुसपैठ

संघ प्रमुख ने चेतावनी दी कि जनसंख्या असंतुलन से देश में अस्थिरता पैदा हो सकती है. उन्होंने कहा, “हर देश के सामने जनसंख्या असंतुलन चुनौती बन सकता है. अगर संतुलन बिगड़ता है तो बंटवारे जैसे हालात भी बन सकते हैं.” साथ ही उन्होंने रोजगार और घुसपैठ का जिक्र करते हुए कहा कि नौकरियां बाहर से आने वालों को नहीं, बल्कि देश के अंदर रहने वाले मुस्लिम नागरिकों को मिलनी चाहिए.

धर्मांतरण पर चिंता

भागवत ने धर्मांतरण को भी जनसंख्या संतुलन के लिए समस्या बताया. उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन से संख्या का समीकरण बिगड़ता है. उनके अनुसार, “कैथोलिक और उलेमा कहते हैं कि वे धर्मांतरण नहीं कराते, लेकिन हकीकत अलग है. धर्म व्यक्तिगत आस्था का विषय है, इसलिए अनावश्यक रूप से धर्मांतरण को बढ़ावा देना उचित नहीं.”

हिंदू-मुस्लिम एकता पर संदेश

भागवत ने हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर कहा कि दोनों समुदायों की असली पहचान एक है. उन्होंने कहा, “हमारी सांस्कृतिक पहचान एक है, लेकिन डर और असुरक्षा ने इस एकता को कमजोर कर दिया है. हिंदुओं में यह आत्मविश्वास आना चाहिए कि साथ रहने से उनकी आस्था पर कोई खतरा नहीं होगा.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस्लाम आया है, मौजूद है और हमेशा रहेगा.

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