क्या है प्रेसिडेंट पुतिन का 'पूप सूटकेस', जो हर यात्रा में बंटोरता है सुर्खियां

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिखर बैठक के लिए पहुंचेंगे. भारत और रूस दोनों ओर से कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. इनमें उनका विवादित ‘पूप सूटकेस’ प्रोटोकॉल भी शामिल है, जिसका उद्देश्य उनके जैविक नमूनों को विदेशी एजेंसियों से सुरक्षित रखना है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिखर बैठक के लिए पहुंचेंगे. भारत और रूस दोनों ओर से कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. इनमें उनका विवादित ‘पूप सूटकेस’ प्रोटोकॉल भी शामिल है, जिसका उद्देश्य उनके जैविक नमूनों को विदेशी एजेंसियों से सुरक्षित रखना है.

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Ravi Prashant
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प्रेसिडेंट पुतिन का 'पूप सूटकेस' Photograph: (NN/META AI)


रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को यानी आज नई दिल्ली कुछ ही देर में पहुंचने वाले हैं, जहां वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ महत्वपूर्ण शिखर बैठक करेंगे. पुतिन अपने आगमन के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित एक निजी रात्रिभोज में भी शामिल होंगे. उनके भारत दौरे को देखते हुए राजधानी में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं. इस यात्रा के दौरान पुतिन भारत के राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे, जिससे यह दौरा उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है.

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पुतिन की सुरक्षा को संभालने में रूस की फेडरल प्रोटेक्टिव सर्विस (FSO) प्रमुख भूमिका निभा रही है, जबकि भारत की ओर से नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG), विशेष प्रशिक्षित स्नाइपर्स, एंटी-ड्रोन सिस्टम और एआई आधारित निगरानी तकनीक तैनात की गई है. वीआईपी मूवमेंट के दौरान हवाई निगरानी, सड़क मार्ग सीलिंग और सीमा सुरक्षा एजेंसियों के अतिरिक्त अलर्ट को भी शामिल किया गया है.

सबसे असामान्य सुरक्षा प्रोटोकॉल ‘पूप सूटकेस’

इस बार यात्रा का सबसे चर्चित पहलू पुतिन की सो कॉल्ड ‘पूप सूटकेस’ सिस्टम है, जिसके बारे में वैश्विक स्तर पर अक्सर चर्चा होती रही है. यह प्रोटोकॉल पुतिन के विदेश दौरों के दौरान उनके व्यक्तिगत जैविक नमूनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू किया जाता है. रिपोर्टों के अनुसार, रूस के विशेष सुरक्षा कर्मी राष्ट्रपति के मूत्र और मल जैसे जैविक अवशेषों को एकत्र करते हैं, उन्हें एयरटाइट कंटेनरों में सील करते हैं और एक सुरक्षित राजनयिक सूटकेस में वापस रूस ले जाते हैं.

इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि पुतिन अक्सर विदेशों में निजी या पोर्टेबल शौचालय के साथ यात्रा करते हैं. यहां तक कि अत्यंत सुरक्षित स्थलों पर भी वे स्थानीय शौचालय का उपयोग करना पसंद नहीं करते. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी प्रकार का जैविक अवशेष पीछे न रह जाए जिसे विदेशी खुफिया एजेंसियां विश्लेषण कर सकें.

क्यों लागू है यह असामान्य प्रोटोकॉल

एक्सपर्ट्स का मानना है कि पुतिन के इस सुरक्षा प्रोटोकॉल का मुख्य कारण उनकी स्वास्थ्य जानकारी को गोपनीय रखना है. जैविक नमूनों का विश्लेषण करने से किसी व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति, हार्मोनल लेवल, दवाओं का उपयोग या संभावित स्वास्थ्य जोखिमों का पता लगाया जा सकता है. क्रेमलिन नहीं चाहता कि किसी भी विदेशी एजेंसी को पुतिन की स्वास्थ्य संबंधी संवेदनशील जानकारी हाथ लगे.

यह प्रोटोकॉल ‘बायोलॉजिकल इंटेलिजेंस’ से बचाव का एक तरीका भी माना जाता है, जिसमें किसी व्यक्ति के जैविक अवशेषों का विश्लेषण करके रणनीतिक या राजनीतिक आकलन किए जाते हैं. पुतिन की उम्र और स्वास्थ्य को लेकर अक्सर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अटकलें लगाई जाती रही हैं, इसलिए रूस इस मामले में अत्यंत सतर्क रुख अपनाता है.

भारत-रूस संबंधों के संदर्भ में दौरे का महत्व

सुरक्षा से जुड़ी इन चर्चाओं के बीच पुतिन की यह यात्रा भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है. दोनों देश रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और व्यापार के क्षेत्रों में लंबे समय से सहयोगी रहे हैं. नई दिल्ली में होने वाली यह शिखर बैठक विभिन्न रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा का मंच प्रदान करेगी, जिसमें रक्षा सहयोग, आर्थिक साझेदारी और वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियां प्रमुख रूप से शामिल हो सकती हैं. पुतिन के भारत पहुंचते ही सुरक्षा और कूटनीतिक गतिविधियां अपने चरम पर होंगी, जबकि दुनिया की नजरें इस बात पर भी टिकी रहेंगी कि दोनों नेता वैश्विक और द्विपक्षीय परिदृश्य पर क्या संदेश देते हैं.

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