अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर दो FIR, धोखाधड़ी से लेकर आतंक कनेक्शन तक बड़ा खुलासा

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने फरीदाबाद स्थित अल-फ़लाह विश्वविद्यालय की कड़ी जांच शुरू कर दी है. विश्वविद्यालय के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी और दस्तावेज़ों की जालसाज़ी के आरोप में दो अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज की गई हैं.

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने फरीदाबाद स्थित अल-फ़लाह विश्वविद्यालय की कड़ी जांच शुरू कर दी है. विश्वविद्यालय के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी और दस्तावेज़ों की जालसाज़ी के आरोप में दो अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज की गई हैं.

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Ravi Prashant
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दिल्ली ब्लास्ट केस Photograph: (X)

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी को गंभीर जांच के दायरे में ला दिया है. यूनिवर्सिटी के खिलाफ धोखाधड़ी और दस्तावेजों की जालसाजी से जुड़े दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं. यह कार्रवाई UGC की उस शिकायत के बाद शुरू हुई, जिसमें संस्थान की गतिविधियों, मानकों और प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल उठाए गए थे.

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 यूनिवर्सिटी पर कई गंभीर आरोप 

पहली एफआईआर में यूनिवर्सिटी पर चीटिंग से जुड़े आरोप दर्ज हुए हैं, जबकि दूसरी एफआईआर में फॉर्जरी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और नियामकीय नियमों को तोड़ने जैसी धाराएं शामिल की गई हैं. आरोप यह भी है कि यूनिवर्सिटी द्वारा शैक्षणिक प्रक्रियाओं में आवश्यक मानकों का पालन नहीं किया गया, जिससे छात्रों की डिग्री और भविष्य पर असर पड़ सकता है. एफआईआर के बाद क्राइम ब्रांच ने संस्थान को औपचारिक नोटिस भेजकर उससे कई अहम दस्तावेज और रिकॉर्ड प्रस्तुत करने को कहा है.

उमर करता था यहीं पर काम

जांच का फ़ोकस तब और बढ़ गया जब दिल्ली ब्लास्ट मामले में सामने आए संदिग्ध आतंकी डॉ. उमर उन नबी के अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े होने की पुष्टि हुई. उमर यूनिवर्सिटी के अस्पताल में काम करता था. इसी कड़ी में शनिवार को क्राइम ब्रांच की टीम ने ओखला स्थित मुख्यालय पहुंचकर प्रशासनिक अधिकारियों से पूछताछ की और परिसर के अलग-अलग हिस्सों की तलाशी ली.

दिल्ली को धमाके की साजिश

जांच एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी के बिल्डिंग नंबर 17 के कमरे नंबर 13 को आतंकियों का “मुख्य ठिकाना” माना है. आरोप है कि इसी कमरे में विस्फोटक जुटाने, दिल्ली धमाके की साजिश रचने और नेटवर्क फैलाने की गतिविधियां चलती थीं. इस कनेक्शन में कई डॉक्टरों व प्रोफेसरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जिनमें कश्मीरी मूल के कुछ डॉक्टरों के नाम भी शामिल बताए जा रहे हैं.

फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन्स पर नजर 

इस बीच, NAAC ने भी यूनिवर्सिटी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, क्योंकि उसने अपनी वेबसाइट पर गलत मान्यता दिखाने का दावा किया था. जांच तेज होने के बाद यूनिवर्सिटी की वेबसाइट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है. पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां अब संस्थान के फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन्स की भी गहराई से जांच कर रही हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं फंडिंग का कोई हिस्सा आतंकी नेटवर्क तक तो नहीं पहुंचा. 

बढ़ते विवाद और सुरक्षा एजेंसियों की गतिविधियों के कारण कई छात्र कैंपस छोड़ रहे हैं और हालात में तनाव साफ झलक रहा है. कुल मिलाकर, अल-फलाह यूनिवर्सिटी फिलहाल एक बड़े अपराध और आतंकी नेटवर्क की जांच का केंद्र बनी हुई है, और आने वाले दिनों में कई और खुलासे सामने आने की संभावना है. 

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