इस भाजपा शासित राज्य में बढ़ी विधायकों, सीएम और मंत्रियों की सैलरी, विपक्ष ने भी बिल का किया समर्थन

भारत के इस राज्य की विधानसभा ने विधायकों से लेकर सीएम और नेता विपक्ष तक की सैलरी में इजाफा करने के बिल को पास कर दिया है. जानें ये कौन सा राज्य है.

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Jalaj Kumar Mishra
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Tripura Assembly Passes Bill for Increase in Salary of CM Ministers Opposition Leader Manik Saha

State Assembly (File)

भाजपा शासित एक राज्य ने विधायकों और मंत्रियों की सैलरी में इजाफा किया है. बिल विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो गया है. विपक्ष ने भी बिल के समर्थन में वोट दिया है. विधायकों से लेकर मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तक की सैलरी में 81 से 92 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. विधानसभा से नया बिल पेश होने के बाद अब हर विधायक को रिटारयमेंट बेनिफिट्स मिलेंगे फिर चाहे वह सिर्फ एक दिन के लिए ही विधानसभा का सदस्य क्यों न बना हो. ये राज्य कोई और नहीं बल्कि पूर्वी राज्य त्रिपुरा है. भाजपा नेता मणिक शाहा त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं.  

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अब मिलेगी इतनी सैलरी

खास बात है विपक्ष ने भी सरकार के इस बिल का विरोध नहीं किया. विधेयक पास होने के बाद मुख्यमंत्री की सैलरी बढ़कर 97,000, उप मुख्यमंत्री की सैलरी 96,000, मंत्रियों, स्पीकर, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य सचेतक की सैलरी 95 हजार, डिप्टी स्पीकर की सैलरी 94 हजार और विधायक की सैलरी 93 हजार रुपये हो गई है. 

पहले मिलती थी इतनी सैलरी

मंत्रियों और विधायकों के वेतन और पेंशन में 2019 में आखिरी बढ़ोत्तरी हुई थी.  2019 में पारित बिल के अनुसार, मुख्यमंत्री को 53,630 रुपये, उप मुख्यमंत्री को 52,630 रुपये, मंत्री, स्पीकर, एलओपी और मुख्य सचेतक को 51,780 रुपये और विधयेक को 48,420 रुपये मिलते थे. 

पेंशन में हुआ इतना इजाफा

पूर्व विधायकों की पेंशन और पारिवारिक पेंशन को 34,500 से बढ़ाकर 66 हजार रुपये और 25,000 से बढ़ाकर 48,000 रुपये कर दिया गया है. सभी विधायकों को पेंशन सहित अन्य रिटायरमेंट बेनिफिट्स मिलेंगे, चाहे वह महज एक दिन के लिए ही विधायक क्यों न बना हो.

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सभी पार्टियों ने किया समर्थन

सभी पार्टियों ने बिल का समर्थन किया. किसी ने भी इस बिल का विरोध नहीं किया. इससे साफ हो गया है कि हर विधायक अपनी सैलरी बढ़ाने के लिए सहमत हैं. 

चौंकाने वाला है ये नियम

एक दिन के लिए भी विधायक बनने पर रिटायरमेंट बेनिफिट्स दिए जाएंगे. यै चौंकाने वाला नियम है. 2022 में हुए अंतिम संशोधन के तहत अगर कोई विधायक कम से कम साढ़े चार साल तक सदन का सदस्य रहता है तो ही उसे पेंशन सहित सभी सेवानिवृत्ति वाले लाभ मिलेंगे. 

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