सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के हौज़ खास स्थित ए.एन. झा हिरण पार्क से हिरणों को अन्य राज्यों, विशेषकर राजस्थान के वन क्षेत्रों में स्थानांतरित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने नई दिल्ली नेचर सोसाइटी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया.
याचिका में क्या किया दावा?
याचिका में दावा किया गया है कि पार्क में रह रहे लगभग 600 हिरणों को बिना उपयुक्त पर्यावास मूल्यांकन, पशु चिकित्सा जांच और गर्भवती या शिशु हिरणों की विशेष देखरेख के बिना अचानक स्थानांतरित किया जा रहा है, जो वन्यजीव संरक्षण और पशु कल्याण कानूनों का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट ने किया स्पष्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हिरणों के उचित देखभाल की ज़िम्मेदारी दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और संबंधित अधिकारियों की है और फिलहाल कोई और हिरण पार्क से बाहर नहीं ले जाए जाएंगे. यह स्थानांतरण प्रक्रिया केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) द्वारा पार्क की ‘मिनी चिड़ियाघर’ के रूप में मान्यता रद्द करने के बाद शुरू की गई थी.
लेकिन याचिकाकर्ता का आरोप है कि डीडीए और वन विभाग ने इस निर्णय को पार्क को पूरी तरह समाप्त करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया, बिना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं अपनाए.
याचिका में की गई अलोचना
याचिका में हिरणों को पकड़ने के लिए “बोमा विधि” के प्रयोग की भी आलोचना की गई है, जिसमें जानवरों को एक कीप जैसी संरचना में घेरकर पकड़ा जाता है, लेकिन यह विधि विशेष रूप से कमजोर हिरणों के लिए खतरनाक मानी गई है.
साथ ही, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बंदी हिरणों को शिकारियों वाले इलाकों में छोड़ना उनके जीवन को संकट में डालना है और यह क्रूरता की श्रेणी में आता है. याचिका में कहा गया है कि ये हिरण शिकारियों जैसे तेंदुए आदि से निपटने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि वे अर्ध-शहरी, सुरक्षित वातावरण में पले-बढ़े हैं.
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि राजस्थान के कुछ अभयारण्यों में चीतल और नीलगाय की घटती आबादी को देखते हुए दिल्ली से हिरणों को शिकार के आधार के रूप में मांगा गया है, न कि संरक्षण के उद्देश्य से. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले 2023 में हिरणों के स्थानांतरण पर रोक लगाई थी और कम से कम 50 हिरणों को हौज़ खास में रखने की सिफारिश की थी.
बाद में जुलाई 2024 में डीडीए के हलफनामे के आधार पर मामला बंद कर दिया गया, जिसमें उन्होंने 24 हिरणों को पार्क में बनाए रखने की बात कही थी. हालांकि, याचिकाकर्ता का आरोप है कि यह आदेश बिना उन्हें जवाब देने का अवसर दिए पारित हुआ. अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हिरणों के किसी भी प्रकार के आगे के स्थानांतरण पर अस्थायी रोक लगा दी है और सभी संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है.
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