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सुप्रीम कोर्ट से पतंजलि को राहत Photograph: (sm)
देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार (11 अगस्त) को पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) द्वारा दायर भ्रामक विज्ञापन संबंधी याचिका को समाप्त कर दिया. इस फैसले के साथ ही अदालत ने अपने पुराने आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा के विज्ञापनों पर सख्त अनुमोदन की आवश्यकता का प्रावधान था.
यह है पतंजिल की बड़ी जीत
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि इस मामले में पहले ही कई आदेश दिए जा चुके हैं और अब याचिका का उद्देश्य पूरा हो गया है. अदालत का यह फैसला पतंजलि आयुर्वेद, योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के लिए एक बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है.
लगाए गए थे गंभीर आरोप
गौरतलब है कि IMA ने पतंजलि पर एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को लेकर कथित रूप से भ्रामक विज्ञापन चलाने का आरोप लगाया था. पिछले साल इस मामले में कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की थी. कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में आगे किसी सुनवाई की आवश्यकता नहीं है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में अगर किसी पक्ष को कोई आपत्ति हो, तो वे सीधे न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
पतंजलि को मिली राहत
इस फैसले से न केवल पतंजलि को कानूनी राहत मिली है, बल्कि पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति और योग को बढ़ावा देने की उनकी मुहिम को भी मजबूती मिली है. अब कंपनी अपने उत्पादों और आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार पर और ध्यान केंद्रित कर सकेगी, जिससे देश में प्राकृतिक उपचार के प्रति जागरूकता और विश्वास और बढ़ने की संभावना है.
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