Super Moon 2025: कार्तिक पूर्णिमा पर दिखा साल का सबसे बड़ा और चमकीला ‘बीवर सुपरमून’, जानिए इसका ज्योतिषीय महत्व

5 नवंबर 2025 की कार्तिक पूर्णिमा पर आसमान में साल का सबसे बड़ा और चमकीला ‘बीवर सुपरमून’ दिखाई दिया. यह 2025 का दूसरा और सबसे नजदीकी सुपरमून था, जिसने अपनी अद्भुत चमक से रात को खास बना दिया.

5 नवंबर 2025 की कार्तिक पूर्णिमा पर आसमान में साल का सबसे बड़ा और चमकीला ‘बीवर सुपरमून’ दिखाई दिया. यह 2025 का दूसरा और सबसे नजदीकी सुपरमून था, जिसने अपनी अद्भुत चमक से रात को खास बना दिया.

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Deepak Kumar
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सुपर मून Photograph: (Freepik)

आज यानी 5 नवंबर 2025 की रात आसमान में एक अद्भुत खगोलीय दृश्य देखने को मिला. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लोगों ने साल का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला चांद देखा, जिसे ‘बीवर सुपरमून’ कहा जाता है. इस रात का चांद सामान्य पूर्णिमा से लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई दिया. यह 2025 का दूसरा सुपरमून था और साल का सबसे नजदीकी फुल मून भी. उस समय चांद पृथ्वी से करीब 3,57,000 किलोमीटर दूर था, यानी अपने औसत फासले से लगभग 17,000 मील पास.

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भारत में यह सुपरमून शाम 6 बजकर 49 मिनट पर अपने चरम पर पहुंचा. मौसम साफ रहने पर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, लखनऊ, अहमदाबाद और चंडीगढ़ जैसे शहरों में लोगों ने इसे स्पष्ट रूप से देखा.

सुपरमून क्या होता है?

चंद्रमा की कक्षा अंडाकार होती है, यानी वह कभी पृथ्वी से दूर और कभी पास आता है. जब पूर्णिमा के समय चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक बिंदु (पेरिगी) पर होता है, तब इसे ‘सुपरमून’ कहा जाता है. इस दौरान चांद का आकार और चमक सामान्य से अधिक हो जाते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, सुपरमून का असर समुद्री ज्वार पर भी पड़ता है, जिससे ज्वार थोड़ा ऊंचा उठ सकता है. 2025 में कुल तीन सुपरमून देखने को मिलेंगे- अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में. इनमें नवंबर का सुपरमून सबसे बड़ा और चमकीला माना गया है.

‘बीवर मून’ नाम का अर्थ

‘बीवर मून’ का नाम उत्तरी अमेरिका की परंपराओं से जुड़ा है. नवंबर के महीने में वहां बीवर नामक जानवर सर्दियों से पहले अपने घर और बांध बनाते हैं, इसलिए इस पूर्णिमा को बीवर मून कहा गया. यह नाम नेटिव अमेरिकन जनजातियों और शुरुआती यूरोपीय बसने वालों ने दिया था, जो हर पूर्णिमा को मौसम और प्राकृतिक घटनाओं से जोड़कर नाम देते थे.

सांस्कृतिक और ज्योतिषीय महत्व

भारत में यह दिन कार्तिक पूर्णिमा के रूप में मनाया गया. यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है. इस अवसर पर गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष के अनुसार, इस बार चंद्रमा मेष राशि में स्थित था, जो स्थिरता, धन और रिश्तों में सकारात्मक प्रभाव डालता है. हालांकि कुछ राशियों में भावनात्मक उतार-चढ़ाव भी संभव हैं.

इस रात आसमान की खूबसूरती देखते हुए लोग छतों और बालकनियों पर चांद को निहारते रहे और अपने मोबाइल कैमरों में इस अनोखे दृश्य को कैद किया.

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