Sunita Williams : 9 महीने से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स की धरती पर वापसी हो चुकी है. सुनीता को लाने के लिए स्पेस एक्स ने क्रू मिशन लॉन्च किया था. भारतीय समय अनुसार सुनीता विलियम्स बुधवार की सुबह लगभग 3:30 बजे लौटीं. यान अमेरिका में फ्लोरिडा के तट के पास उतरा. स्पेस एक्स का ड्रैगन कैप्सूल जैसे ही अमेरिका के फ्लोरिडा में समुद्र तल पर उतरा नासा और स्पेस एक्स के केंद्र पर मौजूद वैज्ञानिकों और अन्य कर्मचारियों ने इस सफलता का तालियां बजाकर स्वागत किया. अब सबसे पहले सुनीता विलियम्स बैरी विल्मोर व अन्य अंतरिक्ष क्षेत्रों की चर से नासा के फ्लोरिडा स्टेशन के करीब स्थित लैब में ले जाया जाएगा, जहां उनकी और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से लौटे अंतरिक्ष यात्रियों की जांच होगी. इसके बाद सुनीता कुछ समय पुनर्वास केंद्र में बिताएंगी और वैज्ञानिकों से क्लीयरेंस मिलने के बाद उनका परिवार वालों से मिलना सुनिश्चित हो जाएगा.
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सुनीता विलियम्स की 9 महीने बाद धरती पर वापसी हो गई
सुनीता विलियम्स की 9 महीने बाद धरती पर वापसी हो गई है. फ्लोरिडा के तट पर लैंडिंग के बाद सिक्योरिटी चेक पूरा हो गया है. ड्रैगन को समंदर से लिफ्ट करके रिकवरी जहाज पर लोड किया गया. अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के बाद शरीर की हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. ग्रेविटी की अनुपस्थिति में हड्डियों का घनत्व हर महीने लगभग 1 प्रतिशत कम हो जाता है, जिससे हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है. इसी तरह मांसपेसिया खास तौर पर पैरों और पीठ की कमजोर हो जाती हैं, क्योंकि यहां शरीर का वजन महसूस ही नहीं होता. हालांकि इस असर को कम करने के लिए अंतरिक्ष यात्री हर दिन करीब ढाई घंटे कड़ी एक्सरसाइज करते हैं, जिससे वजन उठाने की एक्सरसाइज, स्क्वाट्स, वेट लिफ्ट्स और ट्रेड मिल पर दौड़ने जैसी गतिविधियां शामिल हैं.
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सुनीता को फिर से सामान्य रूप से चलने और दौड़ने में समय लग सकता है
इसके बावजूद लौटने के बाद उन्हें फिर से सामान्य रूप से चलने और दौड़ने में समय लग सकता है. अंतरिक्ष में जाने वाले सभी यात्रियों का चेहरा थोड़ा फुला हुआ दिखता है. इसका कारण यह है कि वहां पर गुरुत्वाकर्षण नहीं होने की वजह से शरीर के तरल पदार्थ नीचे की ओर नहीं जाते हैं बल्कि सिर की ओर चले जाते हैं. इसका असर यह होता है कि चेहरा फूला हुआ लगता है. कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को दृष्टि संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. कई बार यह दबाव आंख की आकृति को प्रभावित करता है. लौटने के बाद उनकी दृष्टि धुंधली हो सकती है. अंतरिक्ष में ग्रेविटी ना होने के कारण दिल को उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जितनी धरती पर करनी पड़ती है. नतीजतन यह हल्का सिकुड़ जाता है और इसकी पंपिंग क्षमता भी थोड़ी कम हो जाती है. इससे रक्त संचार प्रणाली पर असर पड़ता है और अंतरिक्ष यात्री को वापसी के बाद कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.