SpaDex Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में लगातार नई कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. इसी के साथ इसरो अंतरिक्ष में एक और इतिहास रचने जा रहा है. जिसकी प्रक्रिया आज यानी शुक्रवार से शुरू हो सकती है. दरअसल, इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) को लेकर गुरुवार को जानकारी दी कि अब दोनों अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे एक दूसरे के नजदीक आ रहे हैं. अलग सब कुछ ठीक रहा तो शुक्रवार यानी आज डॉकिंग की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. हालांकि अभी तक इसरो ने इसकी पुष्टि नहीं कि है.
अंतरिक्ष में फिर इतिहास रचेगा इसरो
बता दें कि 'स्पैडेक्स' मिशन के तहत भारत अंतरिक्ष यान को 'डॉक' और 'अनडॉक' करने की क्षमता का प्रदर्शन करेगा. इसकी सफलता के साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष 'डॉकिंग' तकनीकी में सक्षम दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले कुछ तकनीकी खामियों की वजह से इसरो ने डॉकिंग प्रक्रिया को स्थगित कर दिया था.
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दो बार टाली गई डॉकिंग प्रक्रिया
बता दें कि डॉकिंग के लिए दोनों अंतरिक्षयानों को 225 मीटर तक की दूरी तक लाना है, लेकिन इस कोशिश के दौरान तकनीकी समस्या के चलते डॉकिंग प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया था. यही नहीं इसरो को डॉकिंग प्रक्रिया को दो बार स्थगित करना पड़ा. इससे पहले इस प्रक्रिया को 7 जनवरी को अंजाम देना था. हालांकि तकनीकी खामी के चलते 9 जनवरी तक के लिए इसे टाल दिया गया. वहीं 9 जनवरी को भी इस प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका.
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इसरो ने कही थी ये बात
इसके साथ ही इसरो ने एक बयान जारी कर बताया कि, 'स्पैडेक्स' डॉकिंग अपडेट: ड्रिफ्ट को रोक दिया गया है. अंतरिक्ष यान धीमी गति से एक दूसरे के करीब आने रहे हैं. एक अंतरिक्षयान से दूसरे अंतरिक्षयान के जुड़ने की प्रक्रिया को डॉकिंग और अंतरिक्ष में जुड़े दो यानों के अलग होने की प्रक्रिया को अनडॉकिंग कहा जाता है. यह प्रौद्योगिकी भारत के महत्वाकांक्षी मिशनों जैसे चंद्रमा से नमूने वापस लाने, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है."
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30 दिसंबर को लॉन्च किया गया था मिशन
बता दें कि इसरो ने 30 दिसंबर को इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया था. इसरो ने पीएसएलवी सी60 राकेट द्वारा एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) नाम के दो उपग्रहों को इस मिशन के लॉन्च किया था. लगभग 220-220 किग्रा वजन वाले इन दोनों छोटे उपग्रहों को 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया है.