राष्ट्रपति भवन में पुतिन के सम्मान भोज में शशि थरूर का शामिल होना बना राजनीतिक मुद्दा, कांग्रेस ने निकाली भड़ास

राष्ट्रपति भवन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान भोज में कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और खड़गे को निमंत्रण न मिलने पर विवाद बढ़ा. शशि थरूर के शामिल होने से कांग्रेस में नाराजगी और भाजपा-कांग्रेस के बीच राजनीतिक तकरार तेज हो गई.

राष्ट्रपति भवन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान भोज में कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और खड़गे को निमंत्रण न मिलने पर विवाद बढ़ा. शशि थरूर के शामिल होने से कांग्रेस में नाराजगी और भाजपा-कांग्रेस के बीच राजनीतिक तकरार तेज हो गई.

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Deepak Kumar
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में शुक्रवार (5 दिसंबर) रात राष्ट्रपति भवन में आयोजित भोज ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है. बता दें कि इस समारोह में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि कांग्रेस सांसद शशि थरूर को बुलाया गया और वह भोज में शामिल भी हुए. इसके बाद कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने इसपर नाराजगी जताई.

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कांग्रेस नेताओं ने थरूर और सरकार पर बोला तीखा हमला

थरूर के भोज में शामिल होने पर कांग्रेस नेता उदित राज ने तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हर अवसर को राजनीतिक दांव में बदल देते हैं- चाहे वह कूटनीतिक हो या औपचारिक. उनका कहना था कि सरकार का मकसद विपक्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटा दिखाना है.

भोज में थरूर की उपस्थिति ने बीच-बीच में कांग्रेस के अंदर असंतोष भड़काया. पार्टी के एक अन्य नेता पवन खेड़ा ने कहा कि अगर हमारे नेताओं को नहीं बुलाया गया और शशि थरूर को बुलाया गया, तो समझ लेना चाहिए कि कहीं राजनीतिक खेल चल रहा है. उन्होंने कहा, “जब मेरे नेता को न्योता नहीं मिल रहा और मुझे मिल रहा है- तो यह बात तय करती है कि ये आमंत्रण सिर्फ दिखावे के लिए है.”

पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि अगर हम होते, तो अपनी अंतरात्मा से पूछते कि क्या ऐसे कार्यक्रम में शामिल होना सही है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह लोकतांत्रिक परम्पराओं और प्रोटोकॉल की अनदेखी करते हुए अपने तरीके से काम कर रही है.

भाजपा ने शशि थरूर का किया समर्थन

वहीं, भाजपा नेताओं ने थरूर का समर्थन किया. दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि विभिन्न दलों के नेताओं को अंतर-पार्टी तौर पर कूटनीतिक बैठकों और कार्यक्रमों में शामिल करना सामान्य है. उन्होंने कहा कि विदेश नीति पर काम में अनुभव और क्षमता मायने रखते हैं, न कि सिर्फ पार्टी लाइन.

इस बीच, राहुल गांधी ने एक दिन पहले केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वह विपक्षी नेताओं को विदेश प्रतिनिधिमंडलों से मिलने या संवाद से दूर रख रही है. लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद भी कई विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से मिल चुके हैं.

शशि थरूर के इस कदम ने कांग्रेस के भीतर फिर सवाल पैदा कर दिए हैं- कि क्या उन्होंने पार्टी की भावना और विपक्षी एकता को दरकिनार कर व्यक्तिगत राजनीतिक देख कर इस भोज में हिस्सा लिया? यह विवाद आने वाले दिनों में और गहराता दिख रहा है.

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